दिल्ली गैंगरेप: नाबालिग मुल्ज़िम पर आज आ सकता है फैसला

दिल्ली गैंगरेप के नाबालिग मुल्ज़िम के मामले में दिल्ली गेट के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड शायद फैसला सुना देगा। इस फैसले पर मुतास्सिरा के खानदान के इलावा मुल्क व दुनिया की भी निगाहें टिकी हुई हैं। सभी को बेसब्री से फैसले का इंतेजार है। वारदात के वक्त राजू (बदला हुआ नाम) नाबालिग था, लेकिन बीते 4 जून को वह बालिग हो गया। फिर भी उसे नाबालिग मानते हुए ही सजा सुनाई जाएगी।

अगर राजू को तीन साल की सजा होगी, तब उसे बाल सुधार गृह के स्पेशल होम में 21 साल की उम्र तक रखा जाएगा। राजू उत्तर प्रदेश के बदायूं का रहने वाला है। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ा है। राजू ने बचपन में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। 12 साल की उम्र में घर छोड़ दिल्ली आ गया था।

यहां आनंद विहार बस अड्डे से चलने वाली निजी बसों में वह कंडक्टर की नौकरी करने लगा। उसने घर से नाता रिश्ता तोड़ लिया था।

दिल्ली गैंगरेप का अहम मुल्ज़िम रहा राम सिंह जब किसी दूसरे बस का ड्राइवर था, तब वह उसके साथ कंडक्टर का काम कर चुका था। स्कूल सर्टिफिकेट में दर्ज उम्र की बुनियाद पर जिस दिन (16 दिसंबर की रात) राजू ने वसंत विहार में चार्टर्ड बस में दिगर पांच साथियों के साथ मिलकर 23 साला फिजियोथेरेपिस्ट को हवस का शिकार बनाया, उस दिन उसकी उम्र 17 साल 6 महीने 11 दिन थी। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने स्कूल सर्टिफिकेट की बुनियाद पर 28 जनवरी को उसे नाबालिग करार दिया था।

राजू मामले में 26 मई को प्रासीक्यूटर की गवाही पूरी हो गई। इस्तेगाशा ( Prosecutors) की तरफ से आठ गवाहों के बयान दर्ज कराए गए। 26 जून को सजा पर प्रासीक्यूटर व बचाव पार्टी की बहस हुई। इस मामले में नाबालिग लफ्ज़ की दोबारा तशरीह करने के बाबत सुप्रीम कोर्ट में दी गई दरखास्त की बदौलत जुवेनाइल कोर्ट को चार मर्तबा अपना फैसला टालना पड़ा था।

लेकिन पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को अपना फैसला सुनाने के लिए हरी झंडी दे दी थी।