दिल्ली में हर तीसरे बच्चे के फेफड़े पूरी तरह से काम नहीं कर रहे : रिपोर्ट

देश की राजधानी दिल्ली में हर तीसरे बच्चे के फेफड़े पूरी तरह से काम नहीं कर रहे. लाइफ़स्टाइल डिसीज़’ नाम के एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है. एनडीटीवी के मुताबिक़ यह अध्ययन दिल्ली स्थित चर्चित संस्था विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने किया है. अध्ययन से जुड़ी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत में अकाल मौतों के मामलों में 30 फीसदी के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार होता है. यह खबर तब आई है कि राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और सरकार ने लोगों ने सुबह-शाम घर से बाहर न निकलने की अपील की है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल देशभर में क़रीब 3.5 करोड़ लोग दमे से ग्रस्त पाए गए. इसमें व्यक्ति को सांस लेने में दिक़्क़त होती है. रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच महत्वपूर्ण संबंध है और इससे जुड़ी कई जानकारियां भी खोजी जानी बाकी हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि कई असंक्रामक बीमारियां (एनसीडी) अब पर्यावरण में आ रहे बदलावों की वजह से ही हो रही हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक जब तक यह बात मानी नहीं जाएगी तब तक भारत इन बीमारियों पर नियंत्रण नहीं कर पाएगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एनसीडी के चार मुख्य कारण बताए हैं. ये हैं शराब, तंबाकू, अच्छा खान-पान न होना और शारीरिक श्रम की कमी. मधुमेह यानी डायबिटीज, कैंसर और हृदय रोग जैसी बीमारियां इसी सूची में आती हैं और इनके मरीजों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में सबसे अगली पांत के देशों में से है. विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत को स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारी निवेश करना होगा ताकि इन बीमारियों और इनसे होने वाली मौतों को रोका जा सके.

दिल्ली में वायु प्रदूषण का हाल बताने वाले एक और सर्वे के मुताबिक यहां औसत 23 लोग हर रोज सांस की बीमारी के चलते मौत का शिकार होते हैं। सर्वे से ये भी पता चला कि बीते चार साल में ये आंकड़ा चार गुना बढ़ गया है।वहीं एक दूसरे सर्वे में पाया गया कि हर चौथा ट्रैफिक पुलिसवाला सांस की बीमारी से जूझ रहा है। वहीं सांस की बीमारी के सबसे ज्यादा शिकार आनंद विहार से जुड़ी कॉलोनियों के लोग हो रहे हैं क्योंकि दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण का स्तर यहीं पर रहता है।