जाना वगनाना वेद यक्का (खैरताबाद) ने कहा है कि दिसमबर के पहले हफ़्ते में शहरीयों को एक दिलचस्प फ़लकियाती नज़ारे का मौक़ा फ़राहम होगा जब दुमदार सितारा आई सन साफ़ तौर पर दिखाई देगा।
जाना वगनाना वेद यक्का के डॉक्टर कृष्णा, डॉक्टर एस एम अहमद और डॉक्टर जी राजू ने कहा कि दुमदार सितारों के बारे में बिलउमूम दुनिया भर में तो हम परस्ती पाई जाती है और लोग उन्हें बुरा शगून समझते हैं और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में रौनुमा होने वाले अहम वाक़ियात ( सानाओं ) को इस से मरबूत करते हैं हालाँकि एसा नहीं है बल्कि ये दुमदार सितारे बिलउमूम निज़ामे शामसी से भी बहुत दूर से पहुंचते हैं जो एक मुनासिब रफ़्तार के साथ एक ही सिम्त में अपना सफ़र जारी रखते हुए निज़ामे शामसी में दाख़िल होजाते हैं और सूरज के अतराफ़ गशत करते हैं।
दुमदार सितारे बिलउमूम बर्फ़, गर्द, कार्बन और सिलीकोन पर मबनी मुरक्कबात का मजमूआ होते हैं। उसकी वसती सतह को न्यूकलीयस कहा जाता है जिन का हुजम चंद किलो मीटर के मुसावी होता है जबकि उसकी दुम दो लाख किलो मीटर तवील भी होसकती है लेकिन इस का दार-ओ-मदार सूरज की सिम्त इस के मुक़ाम पर मुनहसिर होता है। उन्होंने कहा कि सूरज की तेज़ रीडयाई शुवाओं के सबब मुंजमिद मवाद के जलने से दुमदार सितारे की दुम तैयार होती है।