देशभर में कान्हा जी की मची है धूम, आज मनाया जा रहा है कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2018) हर साल पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार जन्माष्टमी का संयोग दो दिन का है. इसल‍िए इस बार जन्माष्टमी का त्योहार दो तिथियों में यानी 2 सितंबर और 3 सितंबर दोनों ही दिन मनाया जा रहा है.

2 सितंबर रविवार को भादो की अष्टमी रात 8 बजकर 46 मिनट में शुरू हो गई थी. लेकिन उदयकालीन अष्टमी सोमवार 3 सितंबर 2018 यानी आज के दिन है. इसलिए जन्माष्टमी  आज मनाई जा रही है.

जन्माष्टमी की रात 12 बजे जब कृष्ण का आगमन होगा. उस समय सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग होगा. भक्त जनों की हर मनोकामना पूरी होगी. आकाश से अमृत की वर्षा होगी. आज 3 सितंबर के दिन रोहिणी नक्षत्र भी है.

 

इन नियमों के आधार पर मनाई जाती है जन्माष्टमी 
हिंदू ग्रन्थ धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु के अनुसार जन्माष्टमी का दिन स्पष्ट निर्धारित किया गया है, जो कि स्मार्त अनुयायियों के लिए है। वहीं, वे लोग जो वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयाई नहीं हैं, उन्‍हें हिंदू ग्रंथ में बताए गए नियमों के तहत जन्माष्टमी का दिन निर्धारित करना चाहिए।

रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुए थे श्री कृष्ण 
हिंदू शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्‍ण का जन्‍म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए प्रति वर्ष इसी तारीख और इसी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। मगर हर साल ऐसा ना हो पाने की वजह से कभी अष्टमी तिथि तो कभी रोहिणी नक्षत्र नहीं हो पाता।

किस दिन मनाएगा कौन जन्माष्टमी
2 सिंतबर को निशीथ काल में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र मिल रहा है जिसकी वजह से स्मार्त संप्रदाय वाले जन्माष्टमी का त्‍योहार मनाएंगे। वहीं 3 सितंबर को अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र उदया तिथि मिल रही है, इसलिए वैष्णव संप्रदाय वाले इस दिन जन्माष्टमी मनाएंगे

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व 2 सितंबर रविवार को पड़ रहा है। भारतीय समयानुसार रविवार रात्रि को 08 बजकर 49 मिनट से लेकर अगले दिन सोमवार शाम 07 बजकर 23 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। रविवार को ही रोहिणी नक्षत्र रात्रि 08 बजकर 49 मिनट से लेकर सोमवार को रात्रि 08 बजकर 5 मिनट तक रहेगा।

करें कृष्ण लीलाओं का श्रवण और गीतापाठ

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अत्यंत कठिनाई में मातुल कंस की जेल में हुआ. पिता वसुदेव ने उफनती यमुना को पार कर रात्रि में ही उन्हें वृंदावन में यशोदा-नन्द के घर छोड़ा. यशोदानंदन को खोजने और मारने कंस ने कई राक्षस-राक्षनियों को वृंदावन भेजा. नन्हे बालगोपाल ने स्वयं को इनसे बचाया. इंद्र के प्रकोप और घनघोर बारिश से वृंदावनवासियों को बचाने गोवर्धन पर्वत उठाया. मनमोहन ने गोपिकाओं से माखन लूटा. गाएं चराईं. मित्र मंडली के साथ खेल खेल में कालियादह का मानमर्दन किया. बृजधामलली राधा और अन्य गोपियों के साथ रास किया. कंस वध किया.

बालमित्र सुदामा से द्वारकाधीश होकर भी दोस्ती को अविस्मृत रखा. द्रोपदी का चीरहरण निष्प्रभावी किया. धर्मपालक पांडवों की हर परिस्थिति में रक्षा की. अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया. द्वारकापुरी की स्थापना की.