धर्म मेरी पहचान नहीं : दिया मिर्ज़ा

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अभिनेत्री दिया मिर्ज़ा ने कहा कि धर्म को उन्होंने समझा है और पाया भी है लेकिन ये कभी उनकी पहचान नहीं रहा है

“मैं  उस स्कूल में पढ़ी हूँ जहां जिद्दु कृष्णामूर्ति की विचारधारा का पालन किया जाता है . मैं एक  इसाई पिता और बंगाली माँ की बेटी हूँ और एक मुस्लिम परिवार में पली बढ़ी हूँ, इसलिए धर्म कभी मेरी पहचान नहीं रहा , इसे मैने समय के साथ समझा ज़रूर है ” उन्होंने पृथ्वी फेस्टिवल के दौरान गुरुवार को ये बात कही .

“पहचान की सीमा इंसान को सीमित कर देती है. धर्म और आस्था कोमानना चाहिए और उनका पालन भी करना चाहिए लेकिन इसे इंसान को पहचान नहीं बनाना  चाहिए” उन्होंने कहा .

इस समय जबकि “बढती असहिष्णुता ” के विरुद्ध प्रदर्शन तेज़ होते जा रहे हैं , दिया ने कहा : “मैं उन लोगों से पूछना चाहती हूँ जो अवार्ड्स-वापसी पे सवाल उठा रहे हैं कि जब एक इंसान को अपने देश से इतना बड़ा सम्मान मिलता है तो वो क्यूँ मजबूर होता है इसे लौटाने के लिए : कितने लोग हैं जिनका दिल इतना बड़ा है कि  देश के लिए ऐसा कर पायें ?”

“हर इंसान जिसने अवार्ड लौटाया है उसको पूरा हक़ है ऐसा करने का और ये उन लोगों का विरोध जताने का व्यक्तिगत तरीक़ा है. विरोध इसलिए क्यूंकि उन्हें महसूस हुआ कि ये ज़रूरी है, इसीलिए वे ऐसा कर रहे हैं, ” उन्होंने कहा

दिया, जो कि कई पुण्यार्थ कार्यों  जैसे कैंसर पेशेंट्स ऐड एसोसिएशन ,और  स्पैस्टिक सोसाइटी ऑफ़ इंडिया से जुडी रही हैं , इसके अलावा उन्होंने एच आई वी के प्रति जागरूकता, और कन्या भ्रूण-हत्या को रोकने के लिए भी काम किया है ,

उन्होंने कहा कि उनका ये मानना है कि धर्म और राजनीति दोनों को अलग अलग होना चाहिए  “जिस दिन राजनीति और धर्म दोनों अलग अलग देखे जाने लगेंगे, हम कह सकेंगे कि हम एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं,”