नजमा ह्ब्बत अल्लाह के बयान की मुज़म्मत

नजमा हिपतुल्लाह तजरुबेकार होने के बावजूद अक़लियतों की पसमांदगी को नहीं जानतीं। जबकि तमाम कमेटीयों की रिपोर्ट में मुसलमानों के पसमांदा और पिछड़े होने को ज़ाहिर किया गया है।

मुहम्मद मुहसिन ख़ान साबिक़ सदर टीआरए स माइनॉरिटी सेल ने मर्कज़ी वज़ीर बराए अक़लियती बहबूद नजमा हिपतुल्लाह के हालिया बयान की सख़्त मज़म्मत की है।

मुसलमानों को तहफ़्फुज़ात की मुख़ालिफ़त और फिर सच्चर कमेटी , रंगनाथ मिश्रा कमीशन की सिफ़ारिशात पर अमल आवरी की मुख़ालिफ़त नामुनासिब बात है।

तहफ़्फुज़ात मुसलमानों को ज़ात की बुनियाद पर नहीं बल्कि पसमांदगी की बुनियाद पर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि नजमा ह्ब्बत हिपतुल्लाह को अवामी ख़िदमात का कोई तजुर्बा नहीं है , कांग्रेस से वाबस्तगी के दौर में भी वो राज्य सभा तक महिदूद रहें।

अब वो अपने वज़ारती ओहदे से इंसाफ़ करते हुए पिछड़े और पसमांदा मुसलमानों की तरक़्क़ी के लिए इक़दामात उठाएं। अगर बी जे पी हुकूमत मुसलमानों की पसमांदगी को दूर करने के लिए दी जाने वाली मुराआत में रुकावटें पैदा करने की कोशिश करेगी तो तमाम सेकूलर जमातें एहतेजाज पर उतर आयेंगी। इस मौके पर ज़फ़र उल्लाह सिद्दीक़ी, हाफ़िज़ मुहम्मद इदरीस, मुहम्मद उसमान, अनवर हुसैन ज़फ़र-ओ-दुसरे कारकुनान मौजूद थे।