नवाब मुअज़्ज़म हुसैन का इंतेक़ाल

ये ख़बर निहायत अफ़सोस के साथ पढ़ी जाएगी कि पिछ्ले एक सदी की रवायात, तहज़ीब और सक़ाफ़ त की अमीन और नुमाइंदा शख़्सियत नवाब मीर मुअज़्ज़म हुसैन का मुख़्तसर सी अलालत के बाद कल सुबह 6 बजे इंतेक़ाल हो गया।

वो नवाब मीर दियानत हुसैन ख़ां रईस जंग के फ़र्ज़ंद, नवाब फ़ख़रुल-मुल्क के नवासे और उर्दू के मुहतरम उस्ताद प्रोफेसर आग़ा हैदर हुसैन के दामाद थे।

उनकी उम्र 99 बरस थी। अलालत से पहले तक भी वो ना सिर्फ़ मुकम्मिल होश-ओ-हवास में थे, बल्कि पिछ्ले तक़रीबन एक सदी के वाक़ियात पूरी कैफ़यात के साथ उन्हें याद थे। वो हैदराबाद की तहज़ीब और वज़ादारी के पाबंद ही नहीं, बल्कि अपने आप में हैदराबाद की ज़िंदा तारीख़ थे। ज़ईफ़ुल उमरी के बावजूद तारीख़ पर उनके तोसिअ लेक्चरस पिछ्ले हैदराबाद का क़ीमती सरमाया हैं।

नवाब मीर मुअज़्ज़म हुसैन ने जागीरदारी और अमीराना दौर में भी तालीम को तर्जीह दी। उन्होंने हैदराबाद सिविल सर्विस की तकमील के बाद महिकमा-ए-माल से अपनी ख़िदमात का आग़ाज़ किया और 1948 तक वो कई अज़ला में कलेक्टर के ओहदे पर फ़ाइज़ रहे।

इंज़िमाम हैदराबाद के बाद हकूमत-ए-हिन्द ने उन्हें सेंट्रल प्राउंस में नामज़द वज़ीर-ए-आला की हैसियत से मामूर किया। फ़्रांस में उनका तक़र्रुर यूनेस्को के ओहदादार की हैसियत से हुआ और वो सीनीयर डायरेक्टर की हैसियत से वज़ीफे पर सबकदोश हुए।

पसमान्दगान में उनकी बीवी, तीन फ़र्ज़ंद मीर सरफ़राज़ हुसैन, मीर अकबर हुसैन और मीर असग़र हुसैन के अलावा दो दुख़तर फ़ातिमा बेगम और सुलताना बेगम हैं।

जनाब ज़ाहिद अली ख़ां एडीटर सियासत, नवाब एहतेराम अली ख़ां, नवाब रिफ़अत अली ख़ां, प्रोफेसर रहमत यूसुफ़ ज़ई, शाहिद हुसैन और दुसरे मोअज़्ज़िज़ीन शहर ने पसमान्दगान को पुर्सा दिया।

मक़बरा नवाब फ़ख़रुल-मुल्क में उन्हें सपुर्द-ए-ख़ाक किया गया। फ़ातिहा सीवम हैदर मंज़िल बंजारा हिलस पर 01 सितंबर बरोज़ इतवार ग्यारह बजे दिन मुक़र्रर है।