नसबंदी प्रोग्राम: खातून सर्जन ने 4 घंटे में कर डाले 73 ऑपरेशन!

सरकारी हेल्थ सेंटर्स की कारगुजारी की ऐसी बानगी जिसे देख और सुनकर जिगर वालों के भी रोंगटे खड़े हो जाएं. एक खातून सर्जन ने महज चार घंटे में धड़ाधड़ 73 नसबंदी कर दीं. उन्हें एक ऑपरेशन में सिर्फ सवा तीन मिनट लगे. मामला चिरईगांव के प्राइमरी हेल्थ सेंटर का है.

Family Welfare Scheme के तहत कराए गए ऑपरेशनों में तय मयार का भी ध्यान नहीं रखा गया. एक खातून सर्जन को एक ऑपरेशन में महज सवा तीन मिनट लगे. बदहाली के बीच नसबंदी कराने आई ख्वातीन को बेड तक नसीब नहीं हुआ. ऐसे में उन्हें खुले आसमान के नीचे जमीन पर चादर-दरी बिछा कर लिटा दिया गया. इसके पहले कुशीनगर में ऐसा मामला सामने आया था. यहां महज दो घंटे में 42 महिलाओं की नसबंदी कर दी गई थी.

प्राइमरी हेल्थ सेंटर चिरईगांव ब्लॉक में जुमेरात के रोज़ नसबंदी प्रोग्राम चल रहा था. इसके तहत सैकड़ों ख्वातीन नसबंदी कराने पहुंची. खातून सर्जन ने दोपहर 12 बजे ऑपरेशन शुरू किया और शाम चार बजे तक उनका मिशन सक्सेस हो गया. इसके फौरन बाद ख्वातीन को अस्पताल के बाहर खुले आसमान में जमीन पर लिटा दिया गया. ऐसा करते वक्त यह भी नहीं सोचा गया कि अगर इन ख्वातीन को इंफेक्शन हो गया, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.

मामला सामने आने के बाद चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन ने कहा कि वाराणसी में हेल्थ डिपार्टमेंट की यह लापरवाही है. मामले की पड़ताल कराई जाएगी. इससे मुताल्लिक ओहदेदारो के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. वहीं, संतोष गंगवार (Union Textiles Minister
) ने भी इस मामले में रद्दे अमल ज़ाहिर दिया है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर रियासत के हेल्थ डिपार्टमेंट को ध्यान देना चाहिए. लोगों की सेहत के साथ किसी तरह का खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. इसके अलावा रियासत के बीजेपी सदर लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने भी नसबंदी ऑपरेशन मामले में जांच की मांग की है.

मुतास्सिरों में सिंहपुर की लक्ष्मीनिया, रमना की सुमन, गोपालपुर की अनीता और सोनी, दीनापुर की शीला ने बताया कि यहाँ उन्हें आपरेशन के फौरन बाद बाहर गेट पर लिटा दिया गया. एहतिजाज करने पर कहा गया कि बेड फुल हैं. लिहाजा जमीन पर ही आराम करे.

प्राइमरी हेल्थ सेंटर के इंचार्ज योगेन्द्र नाथ ने कहा कि अस्पताल में सिर्फ चार बेड हैं. मरीजों की तादाद 73 थी. ऐसे में सबको बेड कहां से देते. हुकूमत की से हिदायत है कि टेंट लगा कर मरीजों को सुलाया जाए, लेकिन टेंट नहीं मंगा कर डॉक्टरों ने गद्दा मंगवाया.

सीएमओं ने बताया कि अस्पताल में बेड कम होता है, लेकिन सभी को हिदायत दी गयी है कि पेड के नीचे गद्दे पर या चारपाई पर लिटाने का इंतेज़ाम किया जाए. गद्दे और टेंट के लिए पैसा दिया जाता है. उसके बावजूद अगर पीएचसी के इंचार्ज खुले आसमान में मरीजों को सुला रहे हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

काबिल ए ज़िक्र है कि म्रकज़ी हुकूमत की एनआरएचएम के तहत Family Welfare Scheme में जो ख्वातीन नसबंदी कराती हैं, उन्हें हुकूमत की तरफ से 1400 रुपए दिया जाता है. इसमें एक महीने पहले तक सिर्फ 700 रुपए ही मिलते थे. सरकार की ओर से एक हेल्थ सेंटर को एक साल में 1200 ऑपरेशन करने का टारगेट दिया जाता है.

याद रहे कि छत्तीसगढ़ में गुजश्ता साल इसी तरह के वाकिया में कई ख्वातीन की जान चली गई थी. जांच में पता चला था कि टार्गेट पूरा करने के चक्कर में डाक्टरों ने ऐसा किया था. यही नहीं ऑपरेशन के बाद ख्वातीन को मुनासिब दवा भी नहीं दी गई थी.