नाक़िस इंजीनीयरिंग कॉलेजों में दाख़िलों के लिए पुरकशश तरग़ीबात

इंजनीयरिंग और मेनेजमेंट के तलबा को अपनी मुक़र्ररा फ़ीस का 20 फ़ीसद हिस्सा दुबारा वापिस दे दिया जाएगा। ये एसी कोई नई इस्कीम नहीं है जिस की हुकूमत ने पेशकश की है बल्कि बाज़ एसे नाक़िस और ग़ैर मयारी कॉलेजों के इंतेज़ामीया हैं जो महिज़ अपनी नशिस्तों को पुर करने के लिए तलबा को राग़िब करने की कोशिश के तौर पर बिलवासता पेशकश कररहे हैं।

इंजनीयरिंग कॉलेजों में दाख़िलों का अमल शुरू होने से पहले ही तलबा से मुफ़्त ट्रांसपोर्ट और हाज़िरी से असतसनाई जैसे कई अजीब-ओ-ग़रीब वादे किए जा रहे हैं।

एसे कॉलेजस जिन्हें अपने कमज़ोर तालीमी रिकार्ड नाक़िस कारकर्दगी के सबब दाख़िले पूरे होने की उमीद नहीं है दरमयानी आदमीयों के ज़रीया ख़ाहिशमंद तलबा को राग़िब करते हुए इन में कशिश पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इन कॉलेजों के इंतिज़ामीया के लिए काम करने वाले दरमयानी आदमीयों का काम ये होता हैके वो एसे औसत तलबा को राग़िब करने की कोशिश करते हैं जिन्हें भी इंजनीयरिंग से कोई दिलचस्पी नहीं होती बल्कि फ़ीस रेिंबर्समेंट इस्कीम से इस्तेफ़ादा करने के लिए दाख़िला लिया करते हैं।

एक उम्मीदवार के वालिद ने जो ख़ानगी मुलाज़िम हैं कहा कि कई कॉलेजों की तरफ़ से उन्हें एसी पेशकश मौसूल हुई जिन्हें वो मुस्तर्द करचुके हैं। औसत तालीमी रिकार्ड के हामिल ग़ैर संजीदा उम्मीदवारों को वादों की शक्ल में पुरकशश तरग़ीबात देने वाले दरमयानी आदमीयों( ब्रोकरों) का सब से अहम मुतालिबा ये होता हैके तलबा को सरटीफ़ीकेटस की तौसीक़ के मौके पर दिया जाने वाला पासवर्ड उन के हवाला कर दिया जाये ताकि वो वैब कौंसलिंग के दौरान अपने पसंदीदा कॉलेज का तरजीही असास पर चुनाव करसकें और इस कॉलेज का नाम सब से ऊपर शामिल किया जाता है जो इन्हीं सब से ज़्यादा कमीशन देता है ताकि इस बात को यक़ीनी बनाया जाये कि ये नशिस्त अज़ ख़ुद इस कॉलेज को जाये। ये कोई नई बात भी नहीं है पिछ्ले दो साल से एसे वाक़ियात पेश आरहे हैं जिस के नतीजे में पिछ्ले साल ( साबिक़) आंध्र प्रदेश कौंसिल बराए आला तालीम के हुक्काम ने इन वाक़ियात की तहक़ीक़ात भी की थी। बाज़ कॉलेजों की साज़ बाज़ से अक्सर इंटरनेट सेंटरस से तलबा के पास वर्ड्स के सरका की शिकायात भी आम बात हैं ।

एसे भी कई वाक़ियात का पता चला हैके पासवर्ड के सरका के ज़रीये दाख़िलों के लिए मुंतख़ब कॉलेजों के नाम तबदील करदिए गए थे । अक्सर तलबा अज़ला से ताल्लुक़ रखने वाले तलबा को एसे कॉलेजों ने मोद फ़राहम करने के बहाने गुमराह भी किया है। इस मसले से निमटने के लिए महिकमा फ़न्नी तालीम ने इस साल से सिर्फ़ एक मर्तबा क़ाबिले इस्तेमाल पासवर्ड ( ओ टी पी) सहूलत फ़राहम करने का फ़ैसला किया है ताके तलबा धोका बाज़ी से महफ़ूज़ रह सकीं और हर मरहले पर एक नया पासवर्ड इस्तेमाल करनाहोगा जिस से पासवर्ड सरका की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। ये ओ टी पी सहूलत वैब पर बैंकिंग मुआमलत के लिए की जाने वाली सहूलत के बराबर है। इस किस्म की निचली सतह पर ना उतरने वाले कॉलेजों के इंतेज़ामीया ने भी ओ टी पी की ताईद की है लेकिन कहा है कि इस से तलबा को सिर्फ़ जुज़वी राहत होगी क्युंकि कई फ़ाइदों लालच देने वाले कॉलेजस ऊटी पी मालूमात के हुसूल के लिए भी तलबा को मज़ीद लालच दे सकते हैं।