नाकामियों और जनता की परेशानियों पर पर्दा डालने के लिए उठाया जाता है समान नागरिक का मामला: प्रोफेसर शकील समदानी

अलीगढ़: स्टेट ऑफिसर (गजेटेड) और कानून विभाग के प्रोफेसर शकील समदानी ने श्री वारशने कॉलेज में यूनिफॉर्म सिविल कोड, ‘अफसाना ए हकीक़त’ विषय पर अपने बयान में कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का शोशा बार बार इसलिए उठाया है ताकि सरकार अपनी नाकामियों और जनता की परेशानियों पर पर्दा डाल सके और देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित कर सके, यूनिफॉर्म सिविल कोड एक संवैधानिक और कानूनी समस्या है और उस पर केवल कानून को सामने रख कर बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत जैसे बहु-धार्मिक और बहु रिवायत रखने वाले देश में लगभग असंभव है, क्योंकि ऐसा करना देश के सभी वर्गों को परेशानी में डालना है. प्रोफेसर समदानी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध सभी धर्मों के मानने वाले कर रहे हैं लेकिन मीडिया और राजनेता इस समस्या को इस तरह से प्रस्तुत करते हैं जैसे विरोध केवल मुसलमान ही कर रहे हों.

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प्रदेश 18 के अनुसार, प्रोफेसर शकील समदानी ने कहा कि जिस हिंदू नागरिक संहिता को बहुत संतुलित और महिलाओं के पक्ष में बताया जाता है अगर इसके इतिहास का अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि बड़ी मुश्किल और भारी विरोध के बाद इस विधेयक पर तत्कालीन राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए थे और कानून में इतनी संशोधन कर दी गईं कि यह लगभग पुराने हिंदू कानून की तरह ही हो गया इसलिए यह कहना कि हिंदू कोड बहुत आधुनिक, संतुलित और महिलाओं के पक्ष में है, बिल्कुल गलत है.
उनहोंने जोर दे कर कहा कि इस्लाम धर्म दुनिया का वह पहला धर्म है जिसने महिलाओं को वे अधिकार दिए जो दूसरे धर्मों की महिलाओं को लगभग तेरह सौ साल बाद मिले. इस्लाम ने ही सबसे पहले महिलाओं को तलाक, विरासत और मुहर का अधिकार दिया इसलिए इस्लाम धर्म महिलाओं के संबंध में दकयानोसी और पिछड़ा कहना अगर मूर्खता और अपरिपक्वता नहीं है तो क्या है? आज जो लोग मुस्लिम पर्सनल लॉ में संशोधन की बात कर रहे हैं और मुसलमान महिलाओं पर जुल्म की बात रहे हैं स्वयं वह अत्यधिक दागदार छवि रखते हैं और उनके किरदार पर न जाने कितने काले धब्बे हैं.

अंत में प्रोफेसर समदानी ने गैर मुस्लिम छात्र-छात्राओं की भीड़ में कहा कि हमारा देश का संविधान और न्यायपालिका दुनिया के कुछ बेहतरीन संविधान और न्यायपालिका में से एक हैं. भारतीय संविधान में सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं और अल्पसंख्यकों को देश में विकास के लिए भरपूर अवसर प्राप्त हैं. अब यह अल्पसंख्यकों की जिम्मेदारी है कि वह अपने विशेषाधिकार और अधिकार का उपयोग करते हुए विकास की मंज़िलें तय करें. प्रोफेसर समदानी ने छात्र-छात्राओं से इस बात का प्रण लिया कि वे देश में बढ़ती नफरत और सांप्रदायिकता को कम करने की कोशिश करेंगे, ताकि देश विकास की ओर अग्रसर हो सके क्योंकि जिस देश में अव्यवस्था फैलती है वह बहुत जल्दी विकास की राह हटकर गिरावट की ओर चला जाता है, इसलिए देश को विकास की राह पर ले जाने के लिए यह आवश्यक है कि छात्र, छात्राएँ और युवा बेकार के मामलों में नहीं उलझें और सकारात्मक सोच को बढ़ावा दें.
प्रोफेसर कौशल किशोर ने सभा की अध्यक्षता करते हुए कहा कि समदानी साहब एक जादूगर हैं जिन्होंने कानून की समझ और अपनी बोलने की कला से बच्चों को इस संवेदनशील विषय पर जो जानकारी दी है वह शायद पूरी जिंदगी नहीं भूल पाएंगे. इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. फरीद खान ने किया इस अवसर पर डॉ. वीपी पांडे, डॉ कुंवर प्रमोद सेनानी, डॉक्टर श्री बाबू, डॉ तबस्सुम जहां आदि मौजूद थे.