नागरिकता बिल पर असम में उबाल, मोदी सरकार पर नजर

सर्बानंद सोनेवाल विवादित नागरिकता (संशोधन) बिल 2016 के मद्देनजर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करने वाले हैं। उनके सोमवार को दिल्ली दौरे में गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलकर इस बारे में बातचीत करने के आसार हैं। बता दें कि केंद्र सरकार के इस बिल को लेकर असम के स्थानीय लोगों में काफी रोष है। लोगों में एक डर है कि इस बिल की वजह से उनकी स्वदेशी जातियां अल्पसंख्यक में तब्दील हो जाएगी।

सर्बानंद दिल्ली में नैशनल रजिस्ट्रार ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के मुद्दे पर भी बातचीत करेंगे- जिसका पहला आंशिक ड्राफ्ट 31 दिसंबर 2017 को जारी हुआ था और दूसरा ड्राफ्ट 30 जून 2018 को आएगा। बता दें कि इस महीने की शुरुआत में ही जेपीसी की एक टीम ने असम का दौरा किया था लेकिन वहां उसे नागरिकों के एक समूह के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था।

इसके बाद वहां जेपीसी की अधिक मीटिंग की मांग की गई है, खासतौर पर ऊपरी असम के पहाड़ी जिलों और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास के इलाकों से। हालांकि जेपीसी ने असम की अगली यात्रा की तारीखों पर अभी फैसला नहीं किया है।

गौरतलब है कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित किए गए नागरिकता (संशोधन) बिल 2016 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, ईसाई, पारसी और बौद्ध धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान शामिल किया गया है। यह विधेयक 1955 के ‘नागरिकता अधिनियम’ में बदलाव के लिए लाया गया है। असम सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सोनोवाल को राज्य की स्थिति पर बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया गया है। असम में इस बिल के विरोध में कई प्रदर्शन हुए। सोनोवाल बिल और एनआरसी के दूसरे ड्राफ्ट को जारी करने के मसले के हल के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत की संभावना है।’

दबाव में सोनोवाल सरकार
असम की सोनोवाल सरकार के ऊपर इस बिल को लेकर काफी दबाव में है क्योंकि बीजेपी की सहयोगी असोम गण परिषद (एजीपी) ने बिल के पास होने पर तीन पार्टियों वाले गठबंधन से बाहर होने की चेतावनी दी है। सोनोवाल की छवि राज्य में जातीय नायक की है जो उन्हें राज्य के लोगों द्वारा दी गई थी। दरअसल 2005 में सोनोवाल ने अवैध प्रवासी (ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारण) ऐक्ट के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था लेकिन बिल को लेकर आक्रोश की वजह से बीते कुछ दिनों से वह जनता द्वारा मिले खिताब से अपनी विश्वसनीयता गंवाते जा रहे हैं।