नागरिकता संशोधन विधेयक: बीजेपी के सहयोगी दलों में नाराजगी!

उत्तर पूर्व में अपने सहयोगियों और मैत्री पार्टियों के प्रदर्शन से परेशान भाजपा ने अब सिटीजनशिप बिल के मुद्दे पर बीच का रास्ता निकालने की कवायद शुरू कर दी है। नाराजगी को दूर करने का जिम्मा भाजपा के महासचिव और इस क्षेत्र के प्रभारी राम माधव को दिया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में भाजपा नेता ने बताया कि पार्टी की तरफ से बातचीत जारी है, सरकार की तरफ से गृहमंत्री राजनाथ सिंह उत्तर पूर्व के सभी वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि बीच का रास्ता निकलेगा जिससे सभी संतुष्ट होंगे।

बारीकियों की जानकारी देने से बचते हुए राम माधव ने कहा कि बीच का रास्ता निकालने के लिए बातचीत जारी है। पार्टी नेतृत्व सभी सहयोगियों और आपत्ति जताने वाले दूसरे नेताओं से बात कर रहा है।

साथ ही साथ हमें लोगों से किया हुआ वादा भी पूरा करना है। असम में असम गण परिषद के भाजपा से अलग होने के बाद सिंह ने कहा था कि उत्तर पूर्व के सभी मुख्यमंत्रियों से बात की जाएगी।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, सिटिजनशिप बिल 1955 में संशोधन के बाद नया बिल पकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, पारसी, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई धर्म के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को धार्मिक आधार पर भारत की नागरिकता देता है।

नया बिल लोकसभा से पास हो चुका है मगर राज्यसभा में अब भी अटका हुआ है। असम के लोग इस नए बिल को अपने लिए खतरा मानते है और उनके मुताबिक यह असम संधि के खिलाफ है, जिसके मुताबिक 24 मार्च 1971 के बाद प्रदेश में आने वाला विदेशी नागरिक माना जाएगा।

विरोध करने वालों में मेघालय सरकार में भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपल्स फ्रंट, नागालैंड सरकार में सहयोगी नेशनल डेमोक्रेटिक पीपल्स फ्रंट, त्रिपुरा में भाजपा की सहयोगी स्वदेशी पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी), मिजोरम की सत्ताधारी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट शामिल है।

राज्यसभा में पहले से ही संख्याबल के मामले में पिछड़ी भाजपा को सिटीजनशिप बिल के मुद्दे पर बिहार सरकार में सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का भी साथ नहीं मिल रहा है। जदयू ने इस बिल के विरोध में वोट करने की बात कही है। मगर राम माधव की मानें तो सदन में वोटिंग से पहले वह नाराज साथियों को मना लेंगे।