नागीरेड्डीपेट में बेरोज़गारों को मायूसी

यल्लारेड्डी 01 दिसंबर: मुख़्तलिफ़ कारपोरेशन के तहत हुकूमत मंज़ूर किए हुए क़र्ज़ाजात की हालत मंडल नागीरेड्डीपेट में मायूसकुन है। पहले तो मुख़्तलिफ़ कारपोरेशन के तहत मंज़ूर हुए क़र्ज़ाजात से मुताल्लिक़ा अक्सरीयत के साथ यूनिट्स बताए जाते हैं और फिर मंज़ूरी के वक़्त चंद अफ़राद को ही राहत दी जाती है।

अहलीयत की परवाना किए बग़ैर पसंदीदा शख़्सियतों को ही क़र्ज़ाजात मंज़ूर किए जाने पर कारपोरेशन के क़र्ज़ के नाम से ही बेरोज़गार नौजवानों को मायूसी हो गई है। ओहदेदारों के इस रवैये पर बेरोज़गार दरख़ास्त गुज़ारों से भी गुरेज़ कर रहे हैं। एससी, एसटी , बी सी , माइनॉरिटी कारपोरेशन के तहत दिए जानेवाले सब्सीडी क़र्ज़ाजात के सहारे बेहतर तरीके से कुछ तिजारत करके सँभलने के मवाक़े नौजवानों के लिए ओहदेदारों रहे हैं।

ज़रूरतमंद अफ़राद बाहर सूद पर माईक्रो फाइनैंस के पास ज़ाइद सूद पर क़र्ज़ लेते हुए नुक़्सान उठा रहे हैं। मंडल नागीरेड्डीपेट में साल 2013-14 को मुस्तक़र के आंध्र बैंक के साथ साथ धर्मा रेड्डी के दक्कन गिरामीना बैंक हुदूद में 58 अफ़राद को क़र्ज़ देने का निशाना मुक़र्रर करने के बाद सिर्फ 48 अफ़राद को मुस्तफ़ीद किया गया।

साल 2014-15 में आंध्र बैंक गिरामीना बैंक हुदूद में 84 अफ़राद को क़र्ज़ का निशाना मुक़र्रर किया गया। जिसमें सिर्फ 19 अफ़राद को ही क़र्ज़ मंज़ूर किया गया। एसे हालात में कारपोरेशन के क़र्ज़ाजात से बेरोज़गार अफ़राद उम्मीदें छोड़ना पसंद कर रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो फिर बेरोज़गारों को राहत कब मिलेगी और उनके लिए उम्मीद के दरवाज़े कब खिले गें।