नाजायज़ औलाद की परवरिश से कोई राह फ़रार इख़तियार नहीं करसकता

दिल्ली की अदालत ने कहा है कि कोई शख़्स अपनी नाजायज़ औलाद के गुज़ारे के लिए रक़म अदा करने की ज़िम्मेदारी से राह अफ़रार नहीं होसकता। बच्चा की वालिदा के साथ किसी किस्म के सफाई के बावजूद उसे गुज़ारे की रक़म अदा करनी होगी।

अदालत ने एक शख़्स के अदा-ए‍को रद‌ करदिया कि बच्चा की माँ और उसके बीच‌ समझौता हुआ है कि 50,000 वसूल करने के बाद वो अपने रिश्ते के ताल्लुक़ से दुबारा कोई मसला खड़ा नहीं करेंगी। एडीशनल सेशन जज अनुराधा शुक्ला भ्रदवाज ने मजिस्ट्रेल कोर्ट की रोलिंग में कोई ग़लती नहीं पाई।

एडीशनल सेशन जज ने उस शख़्स को बच्चा की परवरिश के लिए माहाना 2000 रुपये देने का हुक्म दिया था। अदालत ने ताज़ीरात हिंद की दफ़ा 125 के तहत जायज़ औलाद की परवरिश के साथ साथ नाजायज़ औलाद के लिए भी गुज़ारे की रक़म देना बाप की ज़िम्मेदारी है।

सेशन जज ने ये भी निशानदेही की कि ख़ातून की जानिब से इस तनाज़ा को हल करने, लिए गए समझौते से ये साबित होता है कि कमसिन लड़का इस मरहला पर अपने हुक़ूक़ से महरूम नहीं होसकता। अदालत ने पूरे मुआमला का जायज़ा लेने के बाद हुक्म जारी किया कि बच्चे के पैदाइशी सर्टीफिकेट में जिस शख़्स का नाम तहरीर है उसे गुज़ारे की रक़म देना ज़रूरी है। इस केस पर बहस के दौरान शख़्स ने बच्चा का डी एन ए टेस्ट कराने पर भी ज़ोर दिया।