निकाह की वीडीयो रिकार्डिंग क़ानूनी सबूत नहीं हो सकती : दार-उल-उलूम देवबंद का फ़तवा

दीनी दरसगाह दार-उल-उलूम देवबंद ने कहा है कि निकाह की वीडियोग्राफी को बतौर सबूत तस्लीम नहीं किया जा सकता और ये शादी का तसदीक़ नामा भी नहीं हो सकता। इसके इलावा इसे शरई क़ानून के तहत गै़रक़ानूनी तसव्वुर किया जाएगा।

पाकिस्तान के एक शहरी ने दार-उल-उलूम देवबंद से रुजू होकर ये सवाल किया था कि क्या निकाह की वीडीयो रिकार्डिंग को शादी के क़ानूनी सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है?। देनी दरसगाह ने अपने फ़तवा में कहा कि निकाह के लिए कम अज़ कम दो गवाहों का होना ज़रूरी है।

क़ब्लअज़ीं दार-उल-उलूम देवबंद ने निकाह के दौरान वीडीयो रिकार्डिंग और फोटोग्राफी के ख़िलाफ़ भी फ़तवा जारी करते हुए उसे इस्लामी तालीमात के मुनाफ़ी क़रार दिया था।