निवेशकों के शिखर सम्मेलन में हुए फंड घोटाले की तुरंत निष्पक्ष जाँच की जाए

लखनऊ: लोक गठबंधन पार्टी ने आज कहा कि फरवरी में यूपी में निवेशकों के शिखर सम्मेलन के दौरान सजावट के लिए भारी धन के दुरुपयोग ने राज्य में बीजेपी सरकार के दावों की पोल खोल दी है।

एलजीपी ने कहा कि दो दिन के शिखर सम्मेलन से अब तक लाभ तो कुछ भी नहीं हुआ लेकिन इस आयोजन से जुड़े वित्तीय घोटाले बाहर निकलना शुरू हो गये है।

प्रवक्ता ने शनिवार को कहा कि मीडिया रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि बागवानी विभाग द्वारा सजावट के लिए 65 लाख रुपये के व्यय के मुकाबले नकली बिल 2.48 करोड़ प्रस्तुत किए गए थे,जो कुल हुए घोटाले का सिर्फ एक संकेत है। राजनीतिक उद्देश्य के लिए किया गया यह शिखर सम्मेलन विवाद में फंस गया है, प्रवक्ता ने कहा कि प्रस्तावित निवेश डेटा भी अत्यधिक बढ़ चढ़ कर बताया गया था।

प्रवक्ता ने कहा कि लखनऊ की एक डिफॉल्टर कंपनी जिसके खिलाफ बैंक ने धोखाधड़ी की सीबीआई जांच के लिए कहा था,  पर्यटन के प्रचार के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। प्रवक्ता ने शिखर सम्मेलन और इसके वास्तविक लाभ पर एवं इसके आयोजन पर हुए व्यय पर एक श्वेत पत्र की मांग की ।

प्रवक्ता ने कहा कि पिछले दो दशकों के दौरान राज्य में बड़े निवेश के बारे में झूठे दावों को लगातार सभी सरकारे करती चली आ रही हैं। प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी सरकार का दावा है कि शिखर सम्मेलन के दौरान निवेश के लिए लगभग 1000 एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो कि पिछले दो शासनों की तर्ज पर ही है और तब भी नौकरशाहों ने इसी तरह के दावे किए थे जो जमीन पर कभी सही नहीं उतरे।प्रवक्ता ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के राजनेताओं के साथ मिलकर अधिकारियों द्वारा करदाताओं को लूटने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

प्रवक्ता ने कहा कि भारी वित्तीय संकट वाला राज्य कई सालों से मुश्किल समय से गुज़र रहा है और लगातार अत्यधिक भ्रष्ट सरकारों ने यूपी को इस स्थिति से बाहर लाने के लिए शायद ही कोई प्रयास किए हैं। 2004 (मुलायम सिंह शासन) के बाद से इसी तरह के प्रचार स्टंट को याद करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि औद्योगिक विकास गतिविधियों केवल नोएडा-ग्रेटर नोएडा और नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) तक ही सीमित रखा गया है, जिसने पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश में गरीब लोगों के जीवन में कभी सुधार नहीं किया।

प्रवक्ता ने कहा कि राज्य का विकास संतुलित न होने के कारण नोएडा के केवल एक शहरी क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना अच्छा नहीं है और राज्य के दूरस्थ हिस्सों में औद्योगिक निवेश की भी बहुत आवश्यकता है। प्रवक्ता ने कहा कि ग्रामीण इलाकों को गंभीर आधारभूत सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है, और लोग समस्याओं की के नीचे दब कर चिल्ला रहे हैं लेकिन सरकारों ने गांवों में गरीब लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए कुछ भी नहीं किया है।