नॉनवेज खाने वालों में, वेज खाने वालों की तुलना में बीमारियों का कम खतरा: स्टडी

चिकन, मटन, अंडा जैसे नॉनवेज प्रेमियों के लिए यह अच्छी खबर है। एम्स की एक नई स्टडी ने यह साबित किया है कि नॉनवेज खाने वालों में, वेज खाने वालों की तुलना में बीमारियों का कम खतरा रहता है। स्टडी में नॉनवेज खाने वालों में हार्ट डिजीज, मोटापा, हाइपरटेंशन, कैंसर, फैटी लीवर जैसी बीमारी होने का संकेत देने वाले इन्फ्लेमेट्री मार्कर कम पाए गए हैं, जबकि वेज खाने वालों में यह काफी ज्यादा था।

स्टडी में नॉनवेज खाने वाली कश्मीर की महिलाएं और वेज खाने वाली दिल्ली की महिलाएं शामिल की गईं जिसमें कश्मीर की महिलाएं, दिल्ली की महिलाओं से ज्यादा हेल्दी पाई गईं और उनमें बीमारी का खतरा कम पाया गया।

AIIMS और SKIMS ने मिलकर की यह स्टडी 

एम्स दिल्ली और शेरे-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (SKIMS)श्रीनगर ने मिलकर यह स्टडी की है। स्टडी के प्रिंसिपल ऑथर और SKIMS के प्रफेसर मोहम्मद अशरफ गनी ने बताया कि सी-फूड को मेडिसिनल डायट माना जाता है।

इससे हार्ट की बीमारी, डायबीटीज, मोटापा आदि का खतरा कम होता है। इसलिए जापान के लोगों के ज्यादा दिनों तक जिंदा रहने की एक वजह यह भी मानी जाती है। हमने डायट का हेल्थ से संबंध जानने के लिए यह स्टडी की है।

डॉक्टर ने कहा कि स्टडी का रिजल्ट हमारे अनुमान से बिल्कुल विपरीत है। हमने कभी नहीं सोचा था कि नॉनवेज खाने वाले, वेज खाने वालों की तुलना में ज्यादा हेल्दी होंगे।

3 साल तक चली स्टडी में 464 महिलाएं शामिल

डॉक्टर ने कहा कि साल 2015 में यह स्टडी शुरू हुई थी, जो साल 2018 तक चली। कुल 464 महिलाओं को शामिल किया गया था। हमने सबसे पहले इनका 72 घंटे का डायट पैटर्न लिया। कोई दवा तो नहीं खा रहे, फिर हाईट, वजन, बीपी, हेयर ग्रोथ, ब्लड टेस्ट में लीवर फंक्शन, किडनी फंक्शन, लिपिड प्रोफाइल और सारे हॉर्मोन का टेस्ट किया। इन सभी का इन्फ्लेमेट्री मार्कर चेक किया गया और फिर इसकी तुलना की गई जिसमें रिजल्ट चौंकाने वाले आए हैं।

वेज खाने वालों में प्रोटेक्टिव सीरम कम पाया गया

रिजल्ट में PCOS से पीड़ित महिलाओं की तुलना करें तो नॉनवेज खानेवालों में तीनों इनफ्लामेट्री मार्कर सीरम TNF, सीरम IL-6 और सीरम hs-CRP काफी ज्यादा पाए गए। इसी तरह पाया गया कि वेज खानेवालों का इनफ्लामेट्री मार्कर ज्यादा खराब है। यही नहीं, वेज खानेवाली महिलाओं में बीमारियों से बचाने वाला प्रोटेक्टिव सीरम भी कम पाया गया। डॉक्टरों ने कहा कि इस तरह के रिजल्ट की दो वजहें हो सकती हैं। पहली यह कि नॉनवेज में ऐसे कई तत्व हैं जो इनफ्लामेट्री मार्कर को कंट्रोल करके रखते हैं। दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि दिल्ली में पल्यूशन ज्यादा है। हो सकता है कि इस वजह से दिल्ली की महिलाओं का मार्कर खराब हो रहा हो। अब हम इस वजह के बारे में आगे की स्टडी करेंगे। इसका इफेक्ट पुरुषों पर कितना होता है, यह भी जानने की कोशिश की जाएगी।
इसलिए चुनी गईं PCOS से पीड़ित महिलाएं

डॉक्टर गनी का कहना है कि पीसीओएस गायनोक्लॉजिकल डिसआर्डर है और कम उम्र में शुरू हो जाता है। ज्यादा उम्र होने पर दूसरी बीमारियां होने की आशंका रहती है, जिसकी दूसरी वजहें भी हो सकती हैं। दूसरी वजह यह थी कि इस बीमारी में इनफ्लामेट्री मार्कर का लिंक हार्ट डिजीज, मोटापा, हाइपरटेंशन आदि से मिलता है। इसलिए इस स्टडी में पीसीओएस वाली महिलाएं शामिल की गईं।

स्टडी में कौन सी महिलाएं हुईं शामिल

– 82 वेजिटेरियन महिलाएं, जिन्हें PCOS था
– नॉनवेज खानेवाली 62 महिलाएं, जिन्हें PCOS की समस्या थी
– 179 वेजिटेरियन महिलाएं, जो हेल्दी थीं
– नॉनवेज खानेवाली 141 हेल्दी महिलाएं
– सभी महिलाओं की उम्र 18 से 40 साल के बीच थी
(साभार: नवभारत टाइम्स)