नोटबंदी के चलते विदेशी सैलानी भी उतरे सड़कों पर, करतब दिखाकर जुटा रहे घर लौटने का पैसा

राजस्थान: नोटबंदी की मार अब विदेशी सैलानियों पर भी दीखने लगा है। राजस्थान के पुष्कर मेले में आए विदेशी सैलानियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो बैंकों से पैसे नहीं निकाल पाने की वजह से सड़कों पर करतब दिखाने को मजबूर हैं।

शनिवार को विदेशी पर्यटकों का दो समूह कैश खत्म होने के बाद बैंक की लाइन लगा। लेकिन तीन घंटे की लाइन लगने के बाद भी उन्हें कैश नहीं मिला। उनके पास दिल्ली वापस लौटने के लिए पैसे नहीं थे। उसके बाद उन्होंने मजबूरन बैंक के सामने पैसे मांगने लगे और करतब दिखाने लगे।

ये पर्यटक जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के हैं। इन्होंने खेल दिखाने के लिए दो समूह बनाय और प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर के पास और गौ घाट क्रासिंग पर स्थानीय लोगों से करतब दिखाकर वित्तीय मदद की मांग की। उन्होंने अपने हाथों में तख्तियां लेकर रखा था जिस पर लिखा था, “पैसे की समस्या है और आप हमारी मदद करें।” दोनों समूह ने संगीत सुनाकर और कलाबाजी स्टंट दिखाकर लोगों का मनेरंजन किया। दो समूहों को मिलाकर तकरीबन 10 से 12 लोग थे।

उन लोगों ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि वे घंटो लाइन में लगने के बाद अपने खातों से पैसे निकालने में नाकाम रहे। उसके बाद उनलोगों ने सड़क पर प्रदर्शन करने का मन बनाया। एक जर्मन पर्यटक ने कहा कि स्थानीय लोगों की मदद से हमने 2600 रुपये इकट्ठा किए। हम प्रसिद्ध पुष्कर मेले को देखने के लिए 8 नवंबर को यहां आए थे। भारत सरकार ने उसी रात को 500 और 1000 के नोट बंद करने की घोषणा किया। हमारे पास जितने भी बड़े नोट थे सभी बेकार हो गए। अब मात्र 100 के नोट बचे हैं।

उनलोगों ने बताया कि फिलहाल वे इस समस्या से निजात पाने के लिए अपने-अपने दूतावास के संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। एक पर्यटक ने कहा कि हमारे पास सड़कों पर प्रदर्शन करने के अलावा कोई उपाय नहीं था। स्थानीय लोगों से मदद मिलने के बाद कम-से-कम हम अपने दूतावासों से मदद लेने के लिए दिल्ली तक पहुंच सकते हैं।

एक फ्रांसीसी पर्यटक ने कहा कि शुक्रवार को मैं अपने दोस्त के साथ एसबीआइ बैंक के बाहर खड़ा था। हम तीन घंटे तक एटीएम के बाहर खड़े रहे लेकिन जब हमारी बारी आई तो पता चला कि नकदी खत्म हो गई है। एक स्थानीय दुकानदार नाथू शर्मा ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि इस प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पर अपनी 45 साल की जिंदगी में पहली देख रहा हूं कि वित्तीय मदद पाने के लिए कोई विदेशी सैलानी इस तरह प्रदर्शन कर रहा है।