“नोटबन्दी” देश की जनता के लिये बीजेपी के अन्य वायदों की तरह ही पूरी तरह से एक और धोखा ही साबित हुआ: मायावती

नई दिल्ली: देश में 500 व 1,000 रूपये की “नोटबन्दी” के सम्बन्ध में जो-जो फ़ायदे बीजेपी सरकार ने यहाँ की सवासौ करोड़ से अधिक आमजनता को गिनाये थे उनमें से किसी भी घोषित उद्देश्यों की आज दो वर्ष पूरे होने के बाद भी पूर्ति नहीं होने पर लोगों से माफी माँगने की माँग करते हुये बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि बीजेपी की देश में पहली बनी पूर्ण बहुमत की सरकार जनहित व जनकल्याण के लगभग हर महत्वपूर्ण मामले में घोर विफलताओं के कारण पूर्ण रूप से “वादाखिलाफी की सरकार” के रूप में ही हमेशा याद की जायेगी।

देश की जनता में बहुचर्चित व इनके लिये अति-दुखःदायी साबित होने वाली ’’नोटबन्दी’’ की आर्थिक इमरजेन्सी के दो साल पूरे होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी मंत्रियों की भ्रामक व मिथ्या प्रचार वाली बयानबाजियों को छोड़कर जितने भी तथ्य व आँकड़े मौजूद हैं वे सभी यह चीख-चीख कर बता रहे हैं कि काफी अपरिपक्व तरीके से पूरी आपाधापी में देश की जनता पर ज़र्बदस्ती थोपे गये ’’नोटबन्दी’’ से वह कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है जिसका दावा सरकार ने इसको लागू करते समय काफी बड़बोले तौर पर किया था अर्थात् ’’नोटबन्दी’’ देश व यहाँ की जनता के लिये बीजेपी के अन्य वायदों की तरह ही एक पूरी तरह से और धोखा ही साबित हुआ है।

जहाँ एक तरफ इस ’’नोटबन्दी’’ ने सर्वसमाज के तमाम मेहनतकाश व ईमानदार लोगों की कमर तोड़ दी है तथा रोजगार आदि का काफी ज्यादा बुरा हाल किया है, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी एण्ड कम्पनी के तमाम चहेतों ने इसी बहाने अपने-अपने कालेधन को विभिन्न उपायों के माध्यम से बैंकों में जमा करके उसे सफेद कर लिया है, यह जनता खुली आँखों से देख रही है। इतना ही नहीं बल्कि स्वंय बीजेपी ने भी पार्टी के तौर पर देशभर में अकूत सम्पत्ति अर्जित कर ली है, यह भी जनता की नजर में है।

मायावती ने कहा कि विदेशों से कालाधन देश में वापस लाकर देश के हर गरीब परिवार के प्रत्येक सदस्य को 15 से 20 लाख रूपये देने, किसानों कीे आत्महत्या रोकने व उन्हें कर्ज की अदायगी नहीं कर पाने पर जेल भेजने आदि से मुक्ति दिलाने आदि के साथ-साथ देश के सवासौ करोड़ ग़रीबों, मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों, युवाओं व महिलाओं आदि के ’अच्छे दिन’ लाने का सुनहरा सपना दिखाकर वोटों के स्वार्थ की राजनीति करने वाली बीजेपी अपनी सरकार के दौरान व्यापक जनहित व जनकल्याण का ऐसा कोई भी काम नहीं कर पायी है जिससे लोगों का जनजीवन थोड़ा बेहतर होकर उनके जीवन में बेहतर परिवर्तन आया हो, बल्कि इसके विपरीत बीजेपी सरकार की गरीब, मजदूर व किसान-विरोधी नीतियों, गलत कार्यप्रणाली व अहंकारी रवैये से समाज के हर वर्ग का जीवन पहले से कहीं ज्यादा त्रस्त व दुःखी हुआ है, जिससे आमजन में व्यापक आक्रोश का व्याप्त होना स्वाभाविक ही है जो अब धीरे-धीरे उचित समय पर लगातार उजागर भी हो रहा है, जो कि देश की भलाई व यहाँ के लोकतंत्र के लिये काफी शुभ संकेत माना जा रहा है।

साथ ही स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार थोपी गई जबर्दस्त ’’नोटबन्दी’’ की आर्थिक इमरजेन्सी एक व्यक्ति की अपनी मनमानी व अहंकार का नतीजा थी, आज यह कटू सत्य भी देश व दुनिया के सामने प्रकट है। इसीलिये इसे अपरिपक्व तरीके से लागू किये जाने के घोषित परिणाम अब तक नहीं आ पाये हैं और ना ही शायद कभी आ ही सकते हैं। इसलिये बीजेपी सरकार को अपना अहंकार त्यागकर देश की जनता से इस आर्थिक इमरजेन्सी व राष्ट्रीय त्रास्दी के लिये खुले दिल से माफी माँग लेनी चाहिये, यह बी.एस.पी. की माँग है ताकि इस सम्बन्ध में आवश्यक सुधार का रास्ता थोड़ा साफ हो सके।

इसके अलावा केन्द्र की बीजेपी सरकार द्वारा विभिन्न लोकतांत्रिक, संवैधानिक व स्वायत्तशासी संस्थाओं से अनावश्यक टकराव का हठीला रवैया भी त्यागने की सख्त ज़रूरत है क्योंकि इन सब कारणों से देश को लगातार अपूर्णीय क्षति हो रही है तथा इससे आमजनहित भी काफी ज्यादा प्रभावित हो रहा है। कुल मिलाकर देश में लोकसभा आमचुनाव से पहले केन्द्र की बीजेपी सरकार तमाम गलत कारणों से सुर्खियों में बनी हुई है जिससे देशहित बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है और वर्तमान हालात में इसके लिये बीजेपी की सरकार विपक्षी पार्टियों को भी नहीं कोस सकती है क्योंकि यह सब इनके अपने गलत कर्मों का ही फल हैं।