नौजवानों में MP3 प्लेयर का इस्तेमाल काफ़ी नुक़्सानदेह, नए सर्वे में इंतिबाह

लंदन, ०१ जनवरी: (एजेंसीज़) मूसीक़ी सुनने की आदत को नौजवानों में समाअत से महरूमी की एक अहम वजह क़रार दी गई है नीज़ पर्सनल लसुनिंग डेव आइसीस (पी एल डी) की एक आम क़िस्म MP3 प्लेयर्स और आई पॉड्स हैं जो कि नौजवान तबक़ा में मक़बूल आम असरी आलात हैं।

टी ए यूनीवर्सिटी (टी ए यू) के मुहक़्क़िक़ीन ने अपनी जानिब से जारी करदा नई तहक़ीक़ी रिपोर्ट में कहा है कि नौजवानों में मूसीक़ी सुनने के लिए इस्तिमाल किए जाने वाले असरी आलात समाअत से महरूमी की अहम वजह साबित हो रहे हैं। बैन-उल-अक़वामी रिसाला में आडीयो लो जी रिपोर्ट पर तबसरा करते हुए टी ए यू के इस शोबा के प्रोफ़ैसर छावा मोछनक ने कहा है कि हर चार नौजवानों में एक नौजवान उन असरी आलात से मूसीक़ी सुनने का आदी पाया गया है और इस की समाअत की क़ुव्वत भी काफ़ी मुतास्सिर रिकार्ड की गई है।

अपने दीगर साथीयों रुकी कप लॉन मैमन , नवान अमीर और एसटर शहबटाई की जानिब से किए जाने वाले तहक़ीक़ी सर्वे में मज़कूरा यूनीवर्सिटी के नताइज में मूसीक़ी सुनने को समाअत के लिए नुक़्सानदेह ज़ाहिर किया है ।

तहक़ीक़ में कहा गया कि MP3 और आई पौड् चूँकि वाक मैन की बनिसबत ज़्यादा बेहतर तौर पर मूसीक़ी के नशेब-ओ-फ़राज़ को ज़ाहिर करते हैं जो कि समाअत के लिए नुक़्सानदेह हैं नीज़ 10 और 20 बरसों के दौरान ये काफ़ी तशवीशनाक नताइज फ़राहम कर रही हैं।

इबतिदाई मरहले में 13 से 17 साला 289 अफ़राद पर तहक़ीक़ी मुताला किया गया जिस में 74 नौजवान ही सिर्फ ख़ामोश और शोर शराबा दोनों माहौल में बेहतर समाअत के नताइज फ़राहम किए जबकि कसीर तादाद समाअत की सलाहीयत में कमी का शिकार देखे गई।