न्यूजीलैंड मस्जिद हमला- इस महिला की बेबसी सुनकर रो देंगे आप !

न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में दो मस्जिदों में नमाजियों पर हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. अभी तक आपने ख़बरों में इस घटना को कई तरह से देखा होगा लेकिन अगर आप इस चश्मदीद महिला के नज़रिए से  इस घटना को समझेंगे तो आपकी रूह कांप जाएगी.

ब्लूमबर्ग के पत्रकार से बात करते हुए चश्मदीद महिला काफी डरी और सहमी हुई लग रही थीं. बात करते-करते वो रोने लगती थी, उसे भरोसा नहीं हो रहा था कि न्यूज़ीलैंड में भी इस तरह की घटना हो सकती है.

चश्मदीद कहती हैं, ‘एक सज्जन जो सड़क के दूसरी तरफ खड़ा था उसने अपनी कार में तीन घायल लोगों को भरा और फिर उन्हें लेकर अस्पताल के लिए रवाना हो गया.

एक आदमी जो स्ट्रीट पर घायल अवस्था में पड़ा हुआ था वो बार-बार अपनी पत्नी को फोन करने की कोशिश कर रहा था. मैने उसे छिपा कर रखा था.

वहीं एक अन्य व्यक्ति जिसकी हालत बहुत ख़राब थी, उसे मैं देख तो सकती थी लेकिन वहां पहुंच नहीं सकती थी, क्योंकि गोलीबारी सीधे वहीं से हो रही थी.

दूसरा आदमी जिसे मैं छिपाने की कोशिश कर रही थी वो बार- बार अपनी बीवी को फोन करने की कोशिश कर रहा था. मैंने किसी तरह उसका फोन लिया और उसकी पत्नी से बात की.

मैंने बताया कि तुम्हारे पति को मस्जिद के बाहर गोली लगी है तुम यहां मत आओ, सीधे अस्पताल पहुंचो और इंतज़ार करो. वहीं दूसरी तरफ उसके पति से कहती रही कि तुम हिम्मत मत हारो. तुम्हारी पत्नी अस्पताल में इंतज़ार कर रही है.

जब तक कोई मदद नहीं मिलती तब तक मेरे पास हिम्मत बनाए रखने का बस यही रास्ता था. हालांकि इसी बीच वह बेचारा आदमी सड़क पर ही दम तोड़ दिया. मेरी कार अबी भी वहीं पड़ी है.

मेरी उम्र 66 साल है, मैने कभी नहीं सोचा था कि अपने जीवन में यह सब भी देखूंगी. न्यूज़ीलैंड में तो नहीं.

जिसके बाद पत्रकार ने महिला का हौंसला बढ़ाते हुए कहा, ‘यह सब बहुत कष्टदायक था. आप सचमुच में हीरो हैं.

महिला ने कहा, ‘मैने वही किया जो उस वक्त कोई कर सकता था. काश कि मैं कुछ ज़्यादा कर पाती.’

वहीं घटना का शुरुआती विवरण बताते हुए चश्मदीद महिला ने बताया, ‘शुरुआत में तो मुझे लगा कि किसी पटाख़े की आवाज़ है लेकिन जब मैंने सड़क पर कई लोगों को भागते देखा तो मुझे अहसास हुआ कि जो मैं समझ रही हूं, वैसा नहीं है.’

भाग रहे कुछ लोग अचानक ही गिरने लगे, उनमें से एक मेरी कार की बांयी तरफ तो दूसरी दांयी तरफ गिरा. मैंने सदमें में गाड़ी रोक दी और गाड़ी के अंदर ही गोलियों से बचने की कोशिश करने लगी. मुझे लगा कि कुछ गोलियां मेरी कार के ऊपर से होकर निकल रही थी. उनमें से एक गोली मेरे कार के पीछे लगी. मैं कार से बाहर निकली. तभी एक व्यक्ति जिसने काली वर्दी पहन रखी थी मुझसे पूछा, ‘आप ठीक हैं?’

मैने कहा हां मै ठीक हूं मुझे गोली नहीं लगी है. एक आदमी जो किनारे पर लेटा हुआ था, उस बेचारे की पीठ में गोली लगी थी.’