परिवार के दस लोगों ने आत्महत्या की

देहरादून, अक्तूबर 04: उत्तराखंड में देहरादून के पास यमुना के नहर में कूदकर एक ही परिवार के 10 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली है.

पुलिस अधिकारियों के अनुसार ये सभी लोग मूल रूप से मुजफ़्फ़रनगर के थे और देहरादून और आसपास के इलाकों में मेहनत-मज़दूरी करके अपना पेट पालते थे.

इससे जुड़ी और सामग्रियाँअब भी हज़ारों किसान कर रहे हैं आत्महत्याकिसानों की आत्महत्या पर विवाददो और किसानों की आत्महत्या
इसी विषय पर और पढ़ेंभारत मंगलवार की सुबह इस घटना का पता चला जब यमुना पर बने शक्तिनहर के पास एक बूढ़ी महिला बेहोशी की हालत में मिली जिसके हाथ-पांव बंधे हुए थे.

पुलिस ने छानबीन की तो ये पाया कि 10 लोगों ने यमुना में कूदकर जान दे दी है. इसमें तीन महिलाएं, छह बच्चे और एक पुरुष शामिल हैं.

ये तीन महिलाएं उस बूढ़ी महिला की बेटियां थीं, पुरुष उस महिला का दामाद और सभी छह बच्चे उन तीन महिलाओं के थे.

इनमें से एक चार महीने का बच्चा भी था जिसे उसकी मां ने अपने शरीर से बांधकर नहर में छलांग लगाई थी.

बताया जा रहा है कि सोमवार शाम मनोज ही इन सबको समझा-बुझाकर अपने साथ ले गया था और देर रात उन्होंने एक साथ मौत को गले लगा लिया.

पुलिस के अनुसार नहर के पास मिली बूढ़ी महिला अभी भी बेहोशी की हालत में है.

पुलिस ने छह बच्चों सहित तीन महिलाओं के शव ढकरानी पावर हाउस के पास से बरामद कर लिये हैं और पुरुष मनोज के शव की तलाश जारी है.

घटना के बाद शक्ति नहर को बंद करवा दिया गया है.

अवसाद या ग़रीबी?
“परिवार में अब एक बहन बच गई है और उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि आत्महत्या करने से पहले उसे फ़ोन करके बताया गया था कि परिवार के ये सभी लोग नहर में कूदने जा रहे हैं”

पुलिस इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट
घटनास्थल पर गये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जी एन गोस्वामी ने कहा, “प्रारंभिक जांच में ये आत्महत्या का मामला दिखता है हालांकि अन्य पहलुओं से भी जांच की जा रही है.”

नहर से जब एक-एक कर नौ शव निकाले गए तो वहां मौजूद लोग स्तब्ध होकर देख रहे थे और उनकी आंखों में आंसू थे.

घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है.

हालांकि नींद की गोलियों के रैपर मिले हैं इससे अंदेशा ज़ाहिर किया जा रहा है कि शायद बच्चों को दवा देकर नींद और बेहोशी की हालत में नहर में फेंका गया होगा.

पुलिस के मुताबिक़ तीन महीने पहले इसी परिवार की एक जवान बेटी की बीमारी से मौत हो गई थी और उसके बाद से ही पूरा परिवार अवसाद यानी डिप्रेशन का शिकार था और अक्सर हमेशा ही दुनिया छोड़ देने की बात करता था.

पुलिस इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट ने बताया, “परिवार में अब एक बहन बच गई है और उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि आत्महत्या करने से पहले उसे फ़ोन करके बताया गया था कि परिवार के ये सभी लोग नहर में कूदने जा रहे हैं.”

अभी भी परिवार के एकमात्र पुरुष सदस्य का शव नहीं मिला है
पुलिस अधिकारियो का कहना है कि घटना के बाद रीटा नाम की ये महिला भी सदमे में है और जान देने की बात कर रही है.

सामूहिक आत्महत्या की इस घटना का कारण वैसे तो अवसाद बताया जा रहा है लेकिन कहा जा रहा है कि आर्थिक तंगी भी बड़ी वजह हो सकती है.

हांलाकि पुलिस ऐसा कहने से बच रही है.

आसपास के लोगों का कहना है कि इतने बड़े परिवार का खर्च मुश्किल से चल पाता था.

उनका कहना है कि तीन महीने पहले भी परिवार की जिस बेटी की मौत हुई थी तो उसके इलाज के लिये भी परिवार के पास पैसे नहीं थे.