पर्सनल लॉ के समर्थन में सभी मसलक के मुसलमान पहली बार एकजुट हुए

मुंबई। देश में यूनिफार्म सिविल कोड की बहस के बीच मुंबई में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर केंद्र सरकार के रुख के खिलाफ मुबंई में मुस्लिम संगठन एकजुट हुए। ऐसा पहली बार है कि शिया,सून्नी, बरेलवी,देवबंदी और अहले हदीस संगठन किसी एक मुद्दे पर एकमत हुए हो । सोमवार को एक संयुक्त बयान जारी उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया। बयान में कहा गया मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी तरह का दखल बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

ऑल इंडिया उल्लेमा के अध्यक्ष मौलाना जहिरुद्दीन ने अपने पक्ष रखते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक की आड़ लेकर देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड थोपने की साजिश की जा रही है जिसका देश के अधिकतर मुस्लिम विरोध कर रहे हैं।

दारुल मोहम्मदिया के अधयक्ष मौलाना सैयद एम के अशरफ का कहना है कि लॉ कमीशन की प्रश्नवाली एकतरफा है इसलिए हम सभी ने इसका बहिष्कार किया। मौलाना सैयद एम. के. अशरफ ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड हमारे संविधान के तहत दिये गये मूलभूत अधिकारों का हनन है।

ऑल इंडिया उलेमा असोसियेशन के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अतहर अली का कहना है शादी, तलाक, सम्पत्ति के बंटवारे में शरियत के हिसाब से ही चलती है। सरकार को हमारे मजहबी मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है।

मुंबई में इस मीटिंग की अध्यक्षता मौलाना अतहर अली कर रहे थे। इस मीटिंग में शरीक होने वालों में ऑल इंडिया उल्लेमा कॉउंसिल के अध्यक्ष मौलाना खान, मुशवरात के अध्यक्ष नावेद हामिद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ कार्यकारिणी समिति के मेंबर सैय्यद अतहर अली, ऑल इंडिया जमाते-इस्लामी के उपाध्यक्ष मौलाना नुसरत, हाजी अली दरगाह के इमाम मौलाना मौहम्मद इस्लाम, शिया स्कॉलर मौलाना असगर हैदरी और अल-हदीस स्कॉलर मौलाना असगर इमाम सैफी थे।