पाकिस्तान ने न्यूक्लियर राज़ ईरान और लीबिया को फ़राहम कई: आई ऐस आई

वाशिंगटन 26 सितंबर (पी टी आई) पाकिस्तान जिस ने न्यूक्लियर सलाहीयत हासिल करने के लिए हर (क़ानूनी और गै़रक़ानूनी) ज़राए इस्तिमाल किए थे ऐटमी टैक्नालोजी के राज़ों और आलात में ईरान और लीबिया जैसे ममालिक को भी शरीक किया था। आई ऐस आई की एक रिपोर्ट के बमूजिब जो बदनाम साईंसदाँ अबदुलक़दीर ख़ान से की हुई तफ़तीश की बुनियाद पर तैय्यार की गई है जिसे मग़रिबी ममालिक के तमाम सुराग़ रसानी महिकमों को भी रवाना किया गया था कहा गया है कि ये इंतिहाई बद बख्ता ना बात है कि न्यूक्लियर टैक्नालोजी जो मख़सूस नौईयत और आलात की है इबतिदाई दौर में ही शख़्सी ज़िम्मेदारीयों की बिना पर और हालात के पेशे नज़र उन ममालिक और उन की साबिक़ा हुकूमतों को फ़राहम की गई थी। आई ऐस आई की रिपोर्ट में जिस पर कोई तारीख़ दर्ज नहीं है ख़बररसां इदारा फॉक्स न्यूज़ ने आज जारी की है। जिस में कहा गया है कि ये रिपोर्ट अबदुलक़दीर ख़ान और दीगर अफ़राद से पाकिस्तान के सुराग़ रसानी महिकमा आई ऐस आई की तफ़तीश पर मबनी है जो मग़रिबी ममालिक के सुराग़ रसानी महिकमों को भी रवाना की गई थी ताहम पाकिस्तान ने इन महिकमों को अबदुलक़दीर ख़ान से रास्त तफ़तीश करने की इजाज़त नहीं दी थी। रिपोर्ट में शुमाली कोरिया का कोई हवाला नहीं दिया गया है जो मग़रिबी ममालिक के बमूजब खु़फ़ीया तौर पर पाकिस्तान से न्यूक्लियर टैक्नालोजी हासिल करचुका है। आई ऐस आई ने रिपोर्ट में ये भी एतराफ़ किया है कि पाकिस्तान ने न्यूक्लियर टैक्नालोजी हासिल करने और मुल्क में ऐटमी हथियार तैय्यार करने का प्लांट क़ायम करने के लिए हर क़ानून और गै़रक़ानूनी ज़रीया इस्तिमाल किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि रास्त और फ़ौरी तौर पर ख़तरा पाकिस्तान की सयानत को लाहक़ है क्योंकि 1971-ए-में मलिक तक़सीम होगया और इस के बाद 1974 -ए-में हिंदूस्तान ने भी न्यूक्लियर तजुर्बा किया।