पाकिस्तान हिंदुस्तान में सह रुख़ी सीरीज़ की दावत क़बूल ना करे

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के साबिक़ सदर नशीन ख़ालिद महमूद ने पी सी बी के मौजूदा ओहदेदारों को मश्वरा दिया है कि अगर हिंदुस्तान की जानिब से जारिया साल के आख़िर में श्रीलंका को शामिल करते हुए सह रुख़ी सीरीज़ खेलने की दावत दी जाती है तो पाकिस्तान को ये दावत क़बूल नहीं करनी चाहिए।

ख़ालिद महमूद ने कहा कि वो पाकिस्तान बोर्ड के ओहदेदारों को ये मश्वरा देंगे कि वो हिंदुस्तान के पीछे भागना तर्क करदें और श्रीलंका के ख़िलाफ़ होम सीरीज़ के शैडूल में तबदीली की कोशिश ना की जाये ताकि हिंदुस्तान में सह रुख़ी सीरीज़ खेली जा सके। सह रुख़ी सीरीज़ दर असल बी सी सी आई की तजवीज़ है। एशियन क्रिकेट कौंसिल का कल चेन्नई में इजलास हुआ था जिस में कहा गया है कि पाकिस्तान हिंदुस्तान और श्रीलंका के ओहदेदारों ने माह दुसम्बर में सह रुख़ी सीरीज़ के कराने के इमकानात पर जायज़ा लिया था।

रिपोर्टस में कहा गया है कि बी सी सी आई के ओहदेदारों के जुनूबी अफ़्रीक़ा के ओहदेदारों से मुलाक़ात तक क़तई फ़ैसला को टाल दिया गया है। आइन्दा हफ़्ते बी सी सी आई के ओहदेदार जुनूबी अफ़्रीक़ा के ओहदेदारों से मुलाक़ात कर रहे हैं ताकि हिंदुस्तान के दौरा जुनूबी अफ़्रीक़ा के शैडूल पर पैदा शूदा तनाज़ा की यकसूई की जा सके।

ख़ालिद महमूद ने कहा कि पाकिस्तान बोर्ड को चाहिए कि वो हिंदुस्तानी बोर्ड की मर्ज़ी के मुताबिक़ अपनी होम सीरीज़ के शैडूल में तबदीली करने की कोशिश ना करे। उन्होंने कहा कि हम को अब इस दावत को क़बूल नहीं करना चाहिए क्योंकि ये हिंदुस्तान के हक़ में है। बी सी सी आई ने कभी भी पाकिस्तान बोर्ड की ताईद नहीं की है और बी सी सी आई के मुफ़ाद के लिए अगर हम अपनी होम सीरीज़ में तबदीली करते हैं तो ये हमारे लिए नुक़्सान का बाइस होगा।

उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान बोर्ड चाहता है कि वो सह रुख़ी सीरीज़ में हिस्सा ले तो ये इसी शर्त पर होनी चाहिए कि बी सी सी आई मुस्तक़बिल क़रीब में हमारे साथ बाहमी सीरीज़ में हिस्सा ले और ये सीरीज़ पाकिस्तान में होनी चाहिए। पाकिस्तान बोर्ड को इसका एहतिमाम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को चाहिए कि वो अपने क्रिकेट के मुफ़ाद के लिए हिंदुस्तान के साथ तवील मुद्दती मुआहिदा करे।

उन्होंने कहा कि बी सी सी आई ने हिंदुस्तान की कभी भी ताईद नहीं की है। गुजिश्ता साल दिसम्बर में जब हम ने हिंदुस्तान का दौरा किया था उस वक़्त भी हिंदुस्तान ने हमें कुछ अदायगी नहीं की। इस के इलावा वो 2009 में पाकिस्तान का दौरा ना करने का मुआवज़ा भी हमें अदा करना है तो ऐसे में वक़्त है कि हिंदुस्तान के साथ कोई भी मुआहिदा होता है तो हमें इसका मालीयाती फ़ायदा मिलना चाहिए।