पीएम मोदी की मुश्किल बढ़ी, तेरह दलों के युवा संगठनों ने बनाया मोर्चा

भाजपा को मात देने के लिए विपक्षी दलों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाने की बात चर्चा का विषय बनी हुई है। इस मुद्दे पर अभी किसी दल ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इसी बीच विपक्षी दलों के युवा संगठनों ने आपस में तालमेल बनाकर मोदी सरकार का विरोध करने का निर्णय लिया है। इससे राष्ट्रीय दलों के बीच प्राथमिक स्तर पर सहमति बनने के भी संकेत मिलते हैं। हालांकि अगले लोकसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बीच तालमेल को लेकर खूब चर्चा चल रही है, लेकिन इन युवा संगठनों के साथ आने के मौके पर बहुजन समाज पार्टी का कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं था।

आज मंगलवार को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित विपक्ष के तेरह दलों के नेताओं ने दिल्ली में मुलाकात की और आपसी सहमति से यूनाइटेड यूथ फ्रंट नाम से एक मोर्चे का गठन किया। इन सभी दलों के युवा कार्यकर्ता बुधवार को इस फ्रंट के बैनर तले एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन करेंगे जिसमें पेट्रोल, गैस, डीजल तेल की महंगी होती कीमतों को मुद्दा बनाया जाएगा। इसी मोर्चे के तहत बुधवार को ही राष्ट्रीय लोक दल मेरठ कमिश्नरी का घेराव करेगा। इसके अलावा 28 सितंबर को दिल्ली में एक बड़े प्रदर्शन की तैयारी भी हो रही है जिसमें युवाओं की समस्याओं को केंद्र में रखा जाएगा।

कांग्रेस की युवा शाखा इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस मोर्चे के गठन को एक बड़ी घटना बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर दलों में आपसी सहमति बनती है या नहीं, इससे ज्यादा जरुरी है कि हम साथ आकर जनता के मुद्दे उठा रहे हैं। यह पूछने पर कि क्या उनके बीच गठबंधन राष्ट्रीय नेतृत्व की सहमति से बना है, केशव चंद यादव ने कहा कि उन्हें इसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व से सहमति मिली है। उन्होंने बताया कि अभी भी कुछ दलों के नेता अपने व्यक्तिगत कारणों से इस मीटिंग में शामिल नहीं हो सके हैं, लेकिन उनके साथ आने का सहमति पत्र उनके पास मौजूद है और आने वाले समय में वे उनके साथ दिखेंगे।

विपक्षी दलों के युवा शाखाओं के बीच इस तरह का गठबंधन बनना इस अर्थ में महत्त्वपूर्ण है कि अक्सर राष्ट्रीय दलों में गठबंधन हो जाने के बाद भी निम्न स्तर पर कार्यकर्ताओं में आपसी तालमेल नहीं बन पाता था, जिससे गठबंधन का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता था। लेकिन इस बार युवा शाखाओं के बीच बन रहा तालमेल सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है।