पुलिस की जानिबदारी

संगा रेड्डी में गुज़श्ता रोज़ फूट पड़ने वाले फ़साद के लिए पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। अमन‍ ओ‍ ज़ब्त की बरक़रारी महकमा पुलिस का फ़रीज़ा है। अवाम पर यकसाँ क़वानीन और उसूलों का इतलाक़ होता है। ला ऐंड आर्डर के मुआमले में अगर जांबदारी से काम लिया जाए तो नुक़्स अमन का ख़तरा पैदा होना लाज़िमी है।

संगा रेड्डी में भी मुस्लमानों ने दिल आज़ारी के एक वाक़्या के ख़िलाफ़ पुरअमन एहतिजाज किया।मगर मुक़ामी फ़िक्रोपरस्त अनासिर ने इस पुरअमन एहतिजाज को परतशद्दुद बनाते हुए अक़ल्लीयतों को ही निशाना बनाया, उन की इमलाक को तबाह किया। पुलिस इस वाक़्या की सिर्फ तमाशाई थी।

यकतरफ़ा कार्यवाईयों से मुस्लमानों ने अदम तहफ़्फ़ुज़ का एहसास ज़ाहिर किया है। फ़िकरोपरस्त क़ाइदीन एक तबक़ा को खुली छूट दे कर दूसरे तबक़ा को अपने ज़ुलम का शिकार बनाते हैं तो इसको खुली जारहीयत कहा जाता है।हमारे क़ाइदीन अपने वोटरों की आँखों पर सिर्फ नाम निहाद सैक़्यूलर अज़म की पट्टियां बांध कर उन्हें गुमराह कर रहे हैं।

शायद मुस्लमानों की चीख़ें अभी पूरी तरह हलक़-ओ-रूह से नहीं निकली हैं इस लिए फ़िक्रोपरस्त अनासिर उन की चीख़ों को दबाते हुए उन की रोज़मर्रा ज़िंदगीयों को तबाह करने की कोशिश में लगे हुए हैं। तेलंगाना में ज़िमनी इंतेख़ाबात में फ़िर्क़ा परस्तों की कामयाबी ने उनके हौसलों को मज़ीद बुलंद किया है।

मुस्लमानों के जज़बात को मजरूह करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई ना करने के नतीजा में आए दिन मज़हबी दिल्ली आज़ारी के वाक़्यात में इज़ाफ़ा होता जा रहा है। मज़ाहिब का एहतेराम करने का दरस और सैक़्यूलर हिंदूस्तान की रवायात को फ़रामोश करने वाले क़ाइदीन के ख़िलाफ़ मुक़द्दमात दर्ज किए जाएं तो दीगर अफ़राद ऐसी गुस्ताखाना हरकतों की हिम्मत नहीं कर सकते।

मगर पुलिस हर बार ख़ातियों को नजर अंदाज़ कर देती है। क़ानून पर सख़्ती से अमल करते हुए ला ऐंड आर्डर को बरक़रार रखने में मुस्तइदी से काम लिया जाए तो किसी भी तबक़ा की मज़हबी दिल आज़ारी नहीं होगी, और नुक़्स अमन का ख़तरा पैदा नहीं होगा। संगा रेड्डी में पुलिस की नाएहली से मुस्लमानों के इमलाक का भारी नुक़्सान हुआ।

ग़रीब रोज़मर्रा के रोज़गार से वाबस्ता मुस्लमानों को रोटी रोज़ी से महरूम कर दिया गया। तशद्दुद बरपा करने वालों ने मुस्लमानों की इमलाक को तबाह करके उन्हें मजमूई तौर पर 1.32 करोड़ रुपय के नुक़्सान से दो-चार कर दिया है। हुकूमत की ज़िम्मेदारी है कि वो इस नुक़्सान की पा बजाई करते हुए मुतास्सिरीन को फ़ौरी राहत पहुंचाए और शरपसंद अनासिर की सरकूबी करते हुए मज़हबी दिल आज़ारी के वाक़्यात को रोकने के लिए ख़ातियों पर क़ानून का शिकंजा कसा जाए।