पूर्णिया पुलिस ने गरीब बच्चों के लिए चलाया ‘शाम की पाठशाला’

पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया जिले में बाल दिवस के मौके पर जिले की पुलिस की देखरेख में ‘शाम की पाठशाला’ कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. बिहार की पूर्णिया पुलिस अपने स्तर पर गरीब बच्चों को पढ़ने में मदद कर रही है.

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प्रदेश 18 के अनुसार, देशभर में बाल दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. लेकिन पूर्णिया पुलिस कप्तान निशांत तिवारी ने एक अनोखे कार्यक्रम की शुरूआत की है. जिसे जिले के वायसी, बेलौरी, हरदा में चलाये जा रहे हैं. शाम की पाठशाला का आयोजन पिछले दो महीने से किया जा रहा है जिसमें भारी तादाद में बच्चे पढ़ने के लिए आ रहे हैं.
पुलिस कप्तान निशांत तिवारी के अनुसार ‘आजकल बिहार पुलिस के जवान भी ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं लिहाजा इस काम में पढ़े लिखे पुलिसकर्मी भी सहयोग कर रहे हैं. बच्चों को उनके घर पर शिक्षा देने की कोशिश की जा रही है. इस कार्यक्रम में बाद में एडल्ट लोगों को भी जोड़ने की तैयारी है ताकि कम से कम वो अपना खुद हस्ताक्षर कर सकें.
शाम की पाठशाला कार्यक्रम की शुरुआत माइग्रेंट लेबर के बच्चों को ध्यान में रखकर किया गया है. बाद में इसे जिले के दूसरे गरीब बच्चों को भी जोड़ा जाएगा. जिले में इस तरह के काम करने वालों को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि वो अपने आस पास के बच्चों को शिक्षा दें. इस काम में समाज के दूसरे लोग भी भरपूर सहयोग कर रहे हैं. एसपी के इस काम को डीआइजी उपेंद्र प्रसाद सिन्हा ने भी काफी सराहा है.
गौरतलब है कि मखाने की खेती के लिए प्रति साल हजारों की तादाद में मजदूर मिथिलांचल से सीमांचल में जीवन बसर के लिए शिफ्ट करते हैं और फिर वापस लौट जाते हैं. लेकिन इस दौरान उनके बच्चे पढ़ने से महरूम रह जाते हैं. मखाने की खेती के लिए अप्रैल से दिसंबर महीने तक रहते हैं. इस दौरान इनके बच्चों की शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होती है और ये सभी पढ़ने से महरूम रह जाते हैं.