पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन के रिश्तेदारों को सर्कार ने बताया घुसपैठ, आसाम में NRC लिस्ट में नाम शामिल नहीं.

पूर्व राष्ट्रपति के भतीजे और उन के परिवार वाले अब लड़ रहे है अपनी सच्चाई साबित करने की लड़ाई.उनका का कहना है की हमारे पूर्वज हिंदुस्तानी थे हमारे चाचा इस देश के राष्ट्रपति थे तोह हम कैसे घुसपैठ हो गए.

ज़ियाउद्दीन अली अहमद के परिवार को अपना नाम NRC की लिस्ट में नहीं मिल पाया है . १९५१ से अब तक पहली बार आसाम के लोगो की नागरिकता और उनके पहचान पात्र बनाने की सरकार की पहल में कई लोगो ने सही दस्तावेज़ नहीं जमा कराए जिस के चलते उनकी पहचान को खारिज कर दिए गया.

उन कई लोगो में शामिल है ज़ियाउद्दीन जो अपने किसी भी पूर्वज से जुड़े कोई भी दस्तावेज़ जमा नहीं करा सके.NRC के नियमो के अनुसार किसी को भी अपनी नागरिकता साबित करने की लिए यहाँ बात साबित करनी होगी के वो साल १९७१ के पहले से ही हिंदुस्तान में रह रहे है. NRC के अंतिम भाग में करीब ४० लाख लोग अपने दस्तावेज़ जमा नहीं करा पाए , इसका अंजाम ये हो सकता है की वे सरे अपनी नागरिकता खो बैठे.
आसाम सरकार ने अपनी नागरिकता साबित करने के और भी मौके दिए है.

राज्य समन्वयक प्रतीक हाजीला ने कहा की लोगो को १२ और दस्तावेज़ों के बारे में बताया गया है जो की जमा कराए जा सकते है. इतने सारे केसेस में उन् के लिए मुमकिन नहीं होगा के वो एक एक कर के सब को सलाह दे.

NRC के अनुसार उन बारह दस्तावेज़ों में शामिल है. १) भूमि और प्रवृत्ति रिकॉर्ड. २) नागरिकता प्रमाण पत्र ,३) निवास प्रमाण, ४) शरणार्थी पंजीकरण प्रमाण पत्र ५) पास पोर्ट , ६) जीवन बीमा की कागज़ात ७) किसी भी तरह का लाइसेंस ८) बैंक बुक,पोस्ट ऑफिस बुक, ९) जन्म प्रमाण पात्र , १०) कोर्ट या युनिवेर्सिटी से जुड़े कोई भी कागज़ात .

सरकार के हवाले से ये घोषणा की गई है की इन् में से कोई भी दस्तावेज़ अगर जमा कराए जाए तो लोगो की नागरिकता जारी रहेगी. ज़ियाउद्दीन इन् में से किसी भी दस्तावेज़ को जमा करने में नाकामियाब रहे है. उन के साथ ४० लाख और भी लोग है जो अपनी पहचान को आसाम सरकार के सामने साबित नहीं कर पाए है .