नई दिल्ली : हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार शैक्षणिक संस्थान छात्रों को प्रोस्पेक्टस खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। साथ ही अगर छात्र एडमिशन लेने के 15 दिन के अंदर इससे इनकार कर देता है तो उसे पूरी फीस वापस की जाएगी। यदि कोई छात्र किसी सेमेस्टर या साल में पढ़ना चाहता है तब ही उससे एडवांस फीस ली जा सकती है। यह नियम अंडरग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और रिसर्च प्रोग्राम सभी कॉर्स और सभी यूनिवर्सिटी/कॉलेज पर लागू होगा।
अगले साल से कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए ऑरिजनल दस्तावेज जमा कराने की जरूरत नहीं होगी। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन(यूजीसी) ने इस संबंध में नए नियम जारी कर दिए हैं। यूजीसी के इस नियमों से देश में लाखों छात्रों को फायदा हो सकता है। यह नियम तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए ऑरिजनल दस्तावेज देने होते हैं। साथ ही कोर्स छोड़ने पर फीस भी वापस नहीं होती है।
यूजीसी ने प्रवेश के समय दस्तावेजों के सत्यापन, फीस के भुगतान और रिफंड को लेकर यह नियम जारी किए हैं। ये नियम यूजीसी की ओर से ‘फीस रिफंड और भुगतान और छात्रों से जुड़े अन्य मामलों’ के संबंध में जारी की गई नोटिफिकेशन का हिस्सा है। इसके अनुसार, ”सर्टिफिकेट और प्रमाण पत्रों को किसी भी स्थिति में दबाकर रखने की मनाही है।” अधिकारियों ने बताया कि यूजीसी ने इस संबंध में एक कमिटी का गठन भी किया है। फीस को वापस रिफंड ना करने और ऑरिजनल दस्तावेजों न लौटाने की कई शिकायतों के बाद यह फैसला लिया गया है। उच्च शिक्षा के लिए यूजीसी भारत में नियामक संस्था है।