फ़्रांस में बुर्क़ा पहनने पर पहली सज़ा

फ़्रांस, 22 सितंबर: फ़्रांस में दो मुस्लिम महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर बुर्क़ा पहनने के लिए पहली बार सज़ा सुनाई गई है.

हिंद अहमास और नजाइत अली नाम की दो महिलाओं को फ़्रांस के नए क़ानून का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है.

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इसी साल अप्रैल में फ़्रांस में एक क़ानून बनाकर सार्वजनिक जगहों पर पूरे चेहरे को ढके हुए बुर्क़े को पहनने पर पाबंदी लगा दी गई थी.

हिंद अहमास और नजाइत अली को मई के महीने में पूर्वी पेरिस में मियोक्स टाउन हॉल के बाहर बुर्क़ा पहने हुए पाया गया था.

क़ानून बनने के बाद से फ़्रांस की पुलिस ने अब तक कुल 91 महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर बुर्क़ा पहनने के लिए पकड़ा है.

लेकिन हिंद अहमास और नजाइत अली पहली महिला हैं, जिन पर जुर्माना लगाया गया है.

उन दोनों को जुर्माना अदा करने का आदेश दिया गया है.

अदालती फ़ैसला

हिंद और नजाइत ने कहा है कि वे इस अदालती फ़ैसले को चुनौती देगीं और ज़रूरत पड़ने पर मानवाधिकार के यूरोपीय अदालत तक जाएंगी.

पेरिस में बीबीसी संवाददाता क्रिस्चियन फ़्रेज़र का कहना है कि गुरूवार को मियोक्स में सुनाए गए फ़ैसले पर केवल फ़्रांस ही नहीं बल्कि पूरे यूरोप की निगाहें टिकी हुई थीं.

32 साल की तलाक़शुदा हिंद अहमास फ़्रांस में सैकड़ों महिलाओं की चहेती हो गई हैं, जिनका कहना है कि बुर्क़ा पहनना निजी पसंद है और यूरोपीय क़ानून उन्हें इसकी इजाज़त देता है.

हिंद अहमास के माता-पिता इस्लामिक मान्यताओं का सख़्ती से पालन नहीं करते थे. अहमास ने पहली बार आज से छह साल पहले बुर्क़ा पहना था.

अहमास का कहना है कि एक समय में वो मिनी स्कर्ट पहनती थीं और पार्टियों में जाना पसंद करती थीं लेकिन बाद में वो काफ़ी धार्मिक हो गईं.

कुछ मुस्लिम संगठनों का कहना है कि इसी साल अप्रैल में जब फ़्रांस में इस क़ानून को लागू किया गया था तभी से बुर्क़ा पहने हुए कई मुस्लिम महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आई हैं.

यूरोप के कई देशों ने इस तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं या लगाने के बारे में विचार कर रहें हैं हालाकि इस बारे में ये दलील भी दी जाती रही है कि ऐसा करना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.