बर्मा में रोहंगया मुसलमानों की गै़रक़ानूनी हिरासत

इंसानी हुक़ूक़ के बैन-उल-अक़वामी ग्रुपस को तशवीश है कि रोहंगया नसल के मुसलमान क़ैदीयों को मुनासिब अदालती कार्रवाई के बगै़र हिरासत में रखा जा रहा है। बर्मा की हुकूमत ने रियासत राकीन में अमन बहाल करने के लिए इक़दामात करने का वाअदा कर लिया है जहां बौद्धों और रोहंगया मुसलमानों के दरमयान गुज़श्ता छः माह में दो बार तसादुम हो चुका है।

हुकूमत ने क़ानून की हुक्मरानी की बहाली का ख़ुसूसी तौर पर वादा किया है लेकिन इस हफ़्ते स्तवे की एक अदालत के रिमार्कस पर इस वादे पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। पूरे शुमाली हिस्से में हिरासती मराकिज़ हैं और इन तमाम मुक़ामात में मुबय्यना तौर पर क़ैदी मौजूद हैं,

इस लिए यक़ीनी तौर पर उस चीज़ की अशद ज़रूरत है कि इन जेलों पर ग़ैर जानिबदाराना तौर पर कुछ नज़र रखी जाये और ये पता चलाए जाये कि वहां क्या हो रहा है। इस हफ़्ते नसली तौर पर एक रोहंगया ऊन ओन्ग् को राकीन में बदअमनी की एक इंकुआयरी के सिलसिले में पंद्रह साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई।