बांकी मून का दौरा हिंद

अक़वाम-ए-मुत्तहिदा सलामती कौंसल में तौसीअ से मुताल्लिक़ हर वक़्त चर्चे होते हैं मगर इस आलमी इदारा के सेक्रेटरी जनरल बैन की मून ने अपने दौरा हिंदूस्तान के मौक़ा पर इस इदारा की सलामती कौंसल में तौसीअ और हिंदूस्तान को मुस्तक़िल रुकन बनाने के बारे में कोई राय या ख़्याल तक ज़ाहिर नहीं किया और कुछ कहा भी तो ये वाज़िह नहीं था।

हिंदूस्तान के बिशमोल कई ममालिक अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की तारीफ़ करते और इस के फ़राइज़ के क़िस्से ब्यान करते हुए फ़र्हत महसूस करते हैं, मगर जब हक़ीक़त का सवाल उठता है तो हिंदूस्तान को मुस्तक़िल रुकनीयत देने के मसला पर ख़ामोशी इख्तेयार कर ली जाती है। सेक्रेटरी जनरल बैन की मून का दौरा हिंद भी एक ऐसे वक़्त हुआ जब बर्तानिया के बिशमोल कई मुल्कों ने हिंदूस्तान और जापान को मुस्तक़िल रुकनीयत देने की पर ज़ोर हिमायत की है।

बैन की मून ने हिंदूस्तानी क़ियादत से मुलाक़ात के दौरान आलमी और हिंद पाक ताल्लुक़ात, कश्मीर के मौज़ू के इलावा न्यूक्लियर अदम फैलाव मुआहिदा पर बातचीत की मगर अक़वाम-ए-मुत्तहिदा सलामती कौंसल की तौसीअ के मसला पर पूछे गए सवालात को टाल दिया। उन्हें दुनिया की दीगर उभरती ताक़तों के दरमयान G-20 और ब्रिक्स जैसे मुतबादिल आलमी फ़ोर्स की एहमीयत का अंदाज़ा और इल्म है, लेकिन वो इन इदारों को अपने इदारा के लिए मुक़ाबला कुनुंदा मुतसव्वर नहीं करते।

सर्द जंग के निज़ाम से बाहर निकलते हुए हमा कुतुबी निज़ाम में हिंदूस्तान के रोल की एहमीयत को कुबूल करने वाले बैन की मून ने इस मुल्क को अपने इदारा की सलामती कौंसल का रुकन बनाने पर वाज़िह मौक़िफ़ ज़ाहिर नहीं किया। उन्हें हिंदूस्तान की क़ाबिलीयत, सलाहीयत, इफ़ादीयत पर यक़ीन है और वो हिंदूस्तान से हद से ज़्यादा तवक़्क़ो रखते हैं कि ये मुल़्क जंग ज़दा मुल़्क अफ़्ग़ानिस्तान में इस्तेहकाम लाने में अहम किरदार अदा करेगा।

इस में दो राय नहीं कि हिंदूस्तान उस वक़्त आलमी सतह पर अहम मसाएल की यकसूई के लिए अपना हिस्सा अदा करने की सलाहीयत रखता है मगर वो ख़ुद अपना मसला पेश करने से क़ासिर है, दुनिया के उभरते हुए ममालिक के साथ उस की साझेदारी एहमीयत रखती है।

ऐसे में दहश्तगर्दी, सलामती की सूरत-ए-हाल इसके लिए नाज़ुक मसला है। अफ़्ग़ानिस्तान हो या शाम के हालात, सूडान हो या जुनूबी सूडान के दरमयान तनाज़आत इन तमाम पर हिंदूस्तान की बारीकी से नज़र है मगर अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के सेक्रेटरी जनरल की हैसियत से बैन की मून ने इन आलमी उमोर में हिंदूस्तान की क़ियादत से भी तआवुन की ख़ाहिश की है तो इस से आलमी वाक़्यात की चक्की में पिस जाने वाले हालात की संगीनी ज़ाहिर होती है।

आमी इदारा के सरबराह का 4 रोज़ा दौरा हिंदूस्तान अगर इन्सेदाद-ए-दहशतगर्दी में आलमी तआवुन और इससे पैदा हुए चैलेंज्स से निमटने में मददगार साबित हो तो ये मुसबत दौरा कहलाएगा। क्योंकि इन्सेदाद-ए-दहशतगर्दी का मसला हिंदूस्तान की अव्वलीन तर्जीहात से मरबूत है।

मगर वो अफ़्ग़ानिस्तान, शाम के इलावा दीगर अरब-ओ-इस्लामी मुल्कों में होने वाली मग़रिबी ज़्यादतियों पर ख़ामोश रह कर सब कुछ नज़र अंदाज करते हैं तो ये ख़ामोशी उनके लिए भारी गुज़रती है जो अक़वाम-ए-मुत्तहिदा से आस लगाए बैठे हैं। बैन की मून ने दिल्ली में वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह से मुलाक़ात की और न्यूक्लियर हथियारों के फैलाव पर तशवीश ज़ाहिर की मगर इसराईल के तौसीअ पसंदाना अज़ाइम और मशरिक़ वुस्ता में हो रही ज़्यादतियों की जानिब तवज्जा नहीं दी और ना ही हिंदूस्तानी क़ियादत ने फ़लस्तीन के साथ अपने देरीना ताल्लुक़ात और फ़लस्तीनीयों के काज़ की हिमायत करने के हक़ को पूरा करने का इज़हार किया।

67साला बांकी मौन शख़्सी तौर पर एक बेहतरीन शख़्स हैं। जब जामिआ मुलिया इस्लामीया ने उन्हें एज़ाज़ी डिग्री से नवाज़ा तो उन्हों ने ख़ुद को हिंदूस्तान का एक तालिब-ए-इल्म क़रार दिया। क्यों कि चालीस साल क़बल उन्हों ने अपने सिफ़ारत कार कैरीयर का आग़ाज़ हिंदूस्तान से ही किया था, और अब जामिआ मिलिया इस्लामीया की एज़ाज़ी डिग्री इस बात का सबूत है कि उन्हें हिंदूस्तान का तालिब-ए-इल्म होने की सनद हासिल हुई है।

ये सनद उन्हें हिंदूस्तान को आलमी किरदार का हामिल मुल्क बनाने की याद दिलाती रही तो बिलाशुबा अक़वाम-ए-मुत्तहिदा सलामती कौंसल की तौसीअ के साथ उसे मुस्तक़िल रुकन बनाने का मौक़ा तलाश करने में मुआविन साबित हो सकती है। बशर्ते कि हक़ीक़ी तब्दीली आलमी सतह से ही हो जाए।

बैन की मून ने हिंदूस्तान को ख़ित्ता की आलमी ताक़त क़रार तो दिया है लेकिन उसे अपने इदारा में मुस्तक़िल नशिस्त फ़राहम करने से मुताल्लिक़ वाज़िह मौक़िफ़ का इज़हार नहीं किया। हिंदूस्तान से ख़ाहिश की गई है कि वो पाकिस्तान के साथ अपने ताल्लुक़ात को मुसबत और ख़ुशगवार बनाने के इलावा ख़ित्ता में अमन और तहफ़्फ़ुज़ के लिए इक़्दामात करे।

हिंदूस्तान ने अब तक अपने तौर पर हक़ूक़-ए-इंसानी से मुताल्लिक़ उभरने वाले चैलेंज्स से निमटने के लिए सरगर्म रोल अदा किया है और इसके पड़ोसीयों के साथ ताल्लुक़ात भी मुसबत सतह पर क़ायम हैं। जहां तक दहश्तगर्दी का ताल्लुक़ है इस मसला को हल करने के लिए आलमी इदारा को ही तजज़िया करना होगा कि दहश्तगर्दी से कौन सा मुल्क कितना मुतास्सिर है।

बैन की मून ने आलमी सतह पर हिंदूस्तान के दरख़शां मुस्तक़बिल की उम्मीद ज़ाहिर की है तो इसके साथ उन्हें आलमी उमोर में हिंदूस्तान के रोल को वुसअत देने के लिए भी कोशिश करनी चाहीए, और ये कोशिश इस सूरत में देखी जाएगी जब वो अक़वाम-ए-मुत्तहिदा सलामती कौंसल में तौसीअ करने और इस्लाहात लाने के साथ हिंदूस्तान को मुस्तक़िल रुकन बनाने में मुआविन इक़दामात करें|