बांग्लादेश में एक बौद्ध भिक्षु की हत्या

ढाका: बांग्लादेश में एक वृद्ध बौद्ध भिक्षु को ज़दो कोब करके मार डाला गया है और उसके खून से लथपथ शव शनिवार की सुबह बधों के एक मंदिर से बरामद हुई है।बांग्लादेश में एक वृद्ध बौद्ध भिक्षु को ज़दो कोब करके मार डाला गया है और उसके खून से लथपथ शव शनिवार की सुबह बुधों के एक मंदिर से बरामद हुई है।

पुलिस के अनुसार मुस्लिम बहुल आबादी वाले इस देश बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों और धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं की हत्या के सिलसिले की यह नवीनतम कड़ी है।हालाँकि अभी तक किसी भी समूह ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन बांग्लादेश के दूरदराज दक्षिण पूर्व बंदर बन जिले में होने वाले हत्या के इस मामले की समानता हाल में हुई घटनाओं से मिली जुली दिखती है, जिसके पीछे उग्रवादियों का हाथ रह चुका है।

समाचार एएफपी के साथ बातचीत करते हुए जिला बनदरबन के उप पुलिस प्रमुख जसीम दीन का कहना था, ” शनिवार की सुबह एक मंदिर में खून के तालाब में बौद्ध भिक्षु माउनग शु योच्क का शव गांववालों को मिली। इस साधु को ज़दो कोब करके मारा गया है। ”

जसीम ऊददीन का कहना था कि राजधानी ढाका से कोई 350 किलोमीटर की दूरी पर चटगांव डिवीजन क्षेत्र बाईशरी स्थित बौद्ध मंदिर से शनिवार की सुबह बरामद होने वाली लाश शायद 75 वर्षीय बौद्ध भिक्षु की है और ऐसा लगता है कि इस पर चार हमलावरों ने वार किया था।जसीम उददीन के अनुसार, ” हमें मंदिर के अंदर मानव पैरों के निशान मिले हैं और चार पांच लोगों ने मंदिर में प्रवेश किया था। ”

हाल के वर्षों के दौरान बांग्लादेश में दर्जनों सूफियों, शिया मुसलमानों, अहमदियों, हिंदुओं और मसीहों की हत्या में कथित मुस्लिम आतंकवादियों के शामिल होने का बताया गया है, जिनमें से इन घटनाओं की जिम्मेदारी भी ली जाती रही है।बांग्लादेश में सक्रिय आतंकवादी समूह ‘इस्लामिक स्टेट’ और अल कायदा की एक बांग्लादेशी शाखा ने कहा है कि कुछ समय से होने वाले आतंकवादी घटनाओं और कई हत्या में वह शामिल रहे हैं जबकि ढाका की धर्मनिरपेक्ष सरकार इस बात से इनकार करती रही है बांग्लादेश में होने वाले इन हिंसक हमलों में अलकायदा और आईएसआईएस का हाथ है।

सरकार का कहना है कि बांग्लादेश में अलकायदा और आईएस मौजूद नहीं हैं बल्कि इस मुस्लिम बहुल समाज में आंतरिक तरीके से उग्रवादी बनने वाले तत्वों ने हत्या, मारधाड़ का बाजार गर्म किए हुए हैं।160 लाख की आबादी मुस्लिम बहुल देश बांग्लादेश में बुधमत अवधि के मानने वाले निवासियों की संख्या  महज एक प्रतिशत बनता है।