बाबा आशाराम की दरख़ास्त ज़मानत मुस्तरद

अहमदाबाद

भतीजे की आख़िरी रसूमात की अदाएगी का उज़्र नाक़ाबिल-ए-क़बूल

गांधी नगर की एक अदालत ने ख़ुद साख़ता भगवान आशाराम जो कि इस्मत रेज़ि केस में मुल्ज़िम है की दरख़ास्त ज़मानत मुस्तरद करदिया है। उन्होंने भतीजे की आख़िरी रसूमात की अदाएगी के लिये 30 यौम के लिये रिहाई की दरख़ास्त पेश की थी। एडीशनल डिस्ट्रिक्ट जज आर ए घो घिरी ने कहा कि आशाराम को महिज़ अपने भतीजे की आख़िरी रसूमात की अदाएगी के लिये उबूरी ज़मानत पर रहा नहीं किया जा सकता और मुतवफ़्फ़ी के ख़ानदान के दूसरे अरकान और भाई ये रसूमात अदा करसकते हैं।

बाबा आशाराम ने अपने भतीजे शंकर परागनी ( 68 साला ) की आख़िरी रसूमात की अदाएगी के लिये उबूरी ज़मानत के लिये दरख़ास्त पेश की थी जिन का इंतेक़ाल 19 मार्च को हुआ। और नाश सिटी सियोल हॉस्पिटल के कोलडेज स्टोर में रखी गई है। सरकारी वकील आर सी कोडैकर ने दरख़ास्त ज़मानत की मुख़ालिफ़त करते हुए बताया कि आँजहानी के भाई आख़िरी रसूमात अदा करसकते हैं और ये इस्तिदलाल पेश किया कि आशाराम की रिहाई से अमन-ओ-क़ानून का मसला पैदा होसकता है ताहम मुल्ज़िम के वकील बी एम गुप्ता ने अदालत को बताया कि मुतवफ़्फ़ी शंकर परागनी की वसीत है कि आख़िरी रसूमात आशा राम अदा करें जिस के पेशे नज़र उन्हें 30 यौम की ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है। अदालत ने इस्तिग़ासा के दलायल को क़बूल करते हुए दरख़ास्त ज़मानत मुस्तरद करदी|