बिला सूदी क़र्ज़ का आग़ाज़ ख़ुश आइंद कई घर तबाही से बच जाऐंगे

सिद्दिपेट 26 जुलाई: ख़िदमत-ए-ख़लक़ के जज़बे से जो भी काम का आग़ाज़ किया जाता है वो यक़ीनन कामयाब होता है। आज के इस दौर में सूद की लानत ने कई घर तबाह कर दिए हैं। एसे में इस तरह की ख़िदमत का आग़ाज़ यक़ीनन हर एक के लिए ख़ुशी का बाइस है। इन ख़्यालात का इज़हार रियासती वज़ीर टी हरीश राव‌ ने सिद्दिपेट में ख़िदमत एडिड कोआपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड के इफ़्तेताही तक़रीब में शिरकत करते हुए किया।

उन्होंने इस बात का यकीन भी दिया कि महिकमा अक़लियती बहबूद की स्कीमात पर बेहतर अमल आवरी के लिए इस तरह की ख़िदमात से इस्तेफ़ादा किया जाएगा जिस के लिए वो महिकमा फाइनैंस के रियासती वज़ीर से मुशावरत करेंगे। हरीश राव‌ ने मुस्तहिक़-ओ-ग़रीब अवाम की ख़िदमत के लिए अंजाम दी जा रही इदारा सियासत की ख़िदमात को ख़िराज-ए-तहिसीन पेश किया और कहा कि मुदीर सियासत ज़ाहिद अली ख़ान को में अपना गुरु समझता हूँ और उनके बेटे आमिर अली ख़ान न्यूज़ एडिटर से मेरे बेहतर मरासिम हैं। हरीश राव‌ ने कहा कि मेवा ज़हीराबाद में इसी तरह की सोसाइटी का इफ़्तेताह अमल में आया था तब उन्होंने इस तरह की ख़िदमात का सिद्दिपेट में भी आग़ाज़ करने की बात कही थी जिसकी बिना इस सोसाइटी की ख़िदमात का यहां आग़ाज़ अमल में आया है।

उन्होंने मुस्तहिक़ अवाम से कहा कि वो ख़िदमत सोसाइटी से इस्तेफ़ादा करें और माईक्रो फाइनैंस की तरफ से आइद किए जाने वाली सूद की रक़म से बचें। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों से क़र्ज़ हासिल करने के ख़ाहिशमंद ग़रीब इन बैंकों की आइद शराइत की तकमील नहीं कर सकते इसी लिए इस तरह के बिलासू दी सोसाइटीज़ उन के लिए बेहतर साबित होंगे। इस मौके पर हरीश राव‌ अपनी एक माह की तनख़्वाह बतौर फिक्स्ड डिपाज़िट सोसाइटी में जमा करवाने का एलान किया। न्यूज़ एडिटर सियासत आमिर अली ख़ान ने कहा कि मज़हब इस्लाम ने हमें एक दूसरे की मदद करने की तलक़ीन की है उसी को मद्द-ए-नज़र रखते हुए सिद्दिपेट की अवाम के लिए इस तरह के बिला सूदी सोसाइटी का क़ियाम अमल में लाया गया है। अवाम उस की ख़िदमत से इस्तेफ़ादा करें और अपने कारोबार को वुसअत दीं।

उन्होंने कहा कि इदारा सियासत ने हमेशा ही मुस्तहिक़ अवाम की ख़िदमत के लिए पेश पेश रहा है और मुस्तक़बिल में भी रहेगा। उन्होंने इस सिलसिले में मुख़्तलिफ़ अहादीस का हवाला दिया और कहा कि मुस्लमान मुस्लमान का भाई है। दुख-दर्द में शरीक होना उस का फ़र्ज़ है। उन्होंने कहा कि मज़हब इस्लाम ने हमेशा आपसी भाई चारा और रवादारी का दरस दिया। हमें चाहीए कि अमल पैरा होजाएं तब ही हमारी ज़िंदगीयों में इन्क़िलाब बरपा होगा। उन्होंने कहा कि इदारा सियासत ने हमेशा ही मुस्तहिक़-ओ-ग़रीब अवाम के बीच इन फ़लाही इक़दामात किए हैं जिससे कई लाखों मुसलमानों को फ़ायदा पहुंच रहा है।