बिहार: ‘मदरसा बोर्ड’ स्कूल बोर्ड के परिणाम पर उठे सवाल से सबक ले: मोहम्मद अरशद फ़ैज़ी

जाले : बिहार स्कूल बोर्ड के परिणाम में सामने आई गड़बड़ी और शीर्ष दस में आने वाले छात्रों की योग्यता के संबंध में उठे सवाल पर बिना किसी टिप्पणी के बतौर मानवता एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अरशद फ़ैज़ी ने बिहार राज्य मदरसा एजुकेशन बोर्ड पटना की प्रशासन को इससे सबक लेकर बोर्ड के तहत जारी फौकानिया और मौलवी परीक्षाओं और फिर इसके बाद कापियों की जांच को पूरी तरह भ्रष्टाचार मुक्त रखने और रिजल्ट के संबंध में निष्पक्ष रवैया अपनाने की मांग किया है और कहा है कि अगर इस पहलू पर तवज्जह न दी गई तो मदरसा बोर्ड को भी स्कूल बोर्ड की तरह राष्ट्रीय स्तर पर अपमान और शर्मिंदगी का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा,

वह आज अपने अखबारी बयान में कहा है कि मदरसा बोर्ड की  भ्रष्टाचार और शैक्षिक कमजोरी पर यूं तो हमेशा ही नकारात्मक चर्चा होते रहे हैं, लेकिन आज तक प्रशासन की ओर से इस दिशा में ईमानदाराना ध्यान नहीं दिया गया जिसके कारण मदरसा के आंतरिक प्रणाली से लेकर परीक्षा और नोटबुक की जांच तक के सभी चरण में भ्रष्टाचार और गैर जवाबदेही के दायरे व्यापक से व्यापक होते जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि परीक्षा को भ्रष्टाचार से मुक्त रखने के क्रम में मदरसों की बजाय स्कूल कोलेज को केंद्र बना देने से न तो समस्या हल होगी और न ही भ्रष्टाचार के रास्ते को बंद किए जाने की कोई प्रगति सफल होगी बल्कि इस संबंध में मदरसा बोर्ड प्रबंधन और बोर्ड से संबंद्धित सभी विभागों और व्यक्तियों को जवाबदेह बनाना होगा.

क्योंकि अखबारों और अन्य मीडिया के माध्यम से अब तक बोर्ड के तहत होने वाले परीक्षा की जो विवरण सामने आई हैं उन्हें किसी भी तरह संतोषजनक नहीं कहा जा सकता बल्कि भ्रष्टाचार और लूट की पुरानी परंपरा अब भी न केवल जारी है बल्कि दूर तक रोकने के भी कोई आसार दिखायी नहीं दे रहे हैं.

मौलाना फ़ैज़ी ने कुछ परीक्षा केंद्रों से आई इस खबर पर भी चिंता जताई कि जब मदरसों में शिक्षा ही नहीं दी जाती तो परीक्षा में सख्ती क्यों? उन्होंने कहा कि आखिर इस स्थिति का समाधान है और मदरसा बोर्ड प्रशासन उसका क्या जवाब देगी, उन्होंने कहा कि जब शिक्षा के दौरान मदरसों में छात्रों व छात्रायें नज़र नहीं आते तो 75 प्रतिशत उपस्थिति के आधार पर परीक्षा में इतने छात्र-छात्रायें कहाँ से आ जाते हैं, क्या मदरसा बोर्ड या संबद्ध संस्थाओं ने इस पहलू पर कभी विचार किया और क्या उन्होंने वह प्रक्रिया अपनाए जो मदरसों में छात्रों व छात्राओं की फर्जी उपस्थिति के साथ उनकी शिक्षा को भी सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त कर सके, उन्होंने कहा कि हमारे अपने गैर जिम्मेदाराना प्रक्रिया ने ही मदरसा बोर्ड संबद्ध संस्थाओं के शिक्षा व्यवस्था को तबाह व बरबाद कर दिया है और अगर यही स्थिति कायम रही तो उसके ऐसे दर्दनाक परिणाम सामने आएंगे जिनका कल्पना भी नहीं किया जा सकता, मौलाना फ़ैज़ी ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि इस समय मदरसा बोर्ड शैक्षिक संकट के दौर से गुजर रहा है और तेजी से संबद्ध मदरसों में शादाब फूलों से खाली होते जा रहे हैं जो अपने आप में चिंता का पहलू है और अगर यही दृश्य रहा तो मैं समझता हूं कि आने वाले समय मुस्लिम समुदाय को अपनी किस्मत का मातम करने पर मजबूर होना पड़ेगा इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक है कि मदरसा बोरड अपने संबद्ध संस्थानों में शिक्षा का माहौल बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाए और इसके लिए ठोस कार्य योजना तैयार करे,

उन्होंने कहा कि जब तक मदरसा बोर्ड के छात्र-छात्राओं की मदरसों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के साथ परीक्षा और नोटबुक की जांच को भ्रष्टाचार मुक्त करने पर ध्यान नहीं देंगे तबतक मुसलमानों की धार्मिक शिक्षा में किसी भी तरह की क्रांति की कल्पना दीवाने सपने की तरह होगा, वह सवाल किया कि आखिर मदरसा बोर्ड से संबद्ध मदरसों में कौन सी कमजोरी है कि नई पीढ़ी के छात्र-छात्राओं को इन संस्थाओं के पास आने का साहस नहीं देती और अगर इस संबंध में बोर्ड की कोई स्पष्ट कमजोरी है तो उसे दूर कर नए वातावरण को जन्म देने की प्रक्रिया को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल करना होगा।