बीजेपी के सपनों पर मुस्लिम वोटर्स का खतरनाक चोट!

2019 लोकसभा चुनाव के लिए पांच दौर का मतदान पूरा हो चुका है। अब 12 मई को छठें दौर के लिए वोट डाले जाएंगे। दलों के स्टार प्रचारक मैदान में हैं। अपनी नीतियों के साथ तो जमीन पर जाति और धर्म भी अहम हो चला है। कुल मिलाकर चुनावी पारा चरम पर पहुंच गया है।

क्लाइमेक्स का इंतजार है और यह सामने आएगा 23 मई को। मंडल की इलाहाबाद, फूलपुर और प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का रुझान क्या है, इसे भांपने की कोशिश हर दल कर रहे हैं। इधर यह समुदाय है कि असमंजस में है कि किधर जाएं?

सबसे पहले बात प्रयागराज जिले की। यहां दो संसदीय सीट है। इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब सवा दो लाख है और फूलपुर संसदीय सीट में मुस्लिम मतदाता पौने तीन लाख के आसपास हैं।

इन वोटों पर सपा-बसपा गठबंधन के साथ कांग्र्रेस की भी नजर तो है ही, भाजपा भी तीन तलाक के मसले के भरोसे वोट पाने की जुगत में है। उधर मुस्लिम यही सोच रहे हैं कि उनकी अच्छी-खासी संख्या होने के बावजूद चुनाव में उनके मुद्दे पीछे छूट जाते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही है। वोट बैंक की सियासत हावी है।

लोकसभा सीट की भौगोलिक सीमा कुछ ऐसी है कि शहर का काफी हिस्सा फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। शहर उत्तरी और शहर पश्चिमी विधानसभा सीट फूलपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। इसमें से शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों की संख्या ठीक-ठाक है।

पांच बार अतीक अहमद इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। अतीक को एक बार फूलपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित होने का भी मौका मिला है। कांग्रेसी और सपाई दोनों ही यहां एक दूसरे को पछाड़ कर मुस्लिम वोट पाने की जुगत में हैं तो भाजपा इस खुशफहमी है कि तीन तलाक के नाते उसे भी वोट मिलेंगे।

इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र के हिस्से शहर दक्षिणी से परवेज अहमद टंकी समाजवादी पार्टी से विधायक रह चुके हैं। यहां के मुस्लिमों में भी उलझाव के हालात हैं। यमुनापार और गंगापार के मुस्लिम भी कुछ इसी तरह की उधेड़बुन में दिख रहे हैं।

हालात यह हैं कि सपा, बसपा और कांग्रेस के नेता अपनी हनक दिखाने के लिए प्रत्याशी को क्षेत्र में घुमाकर जीत का दम भरवा रहे हैं पर आम वोटर पत्ते नहीं खोल रहा। इसलिए जहां राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी बेचैन हैं, वहीं मुस्लिम वोटर भी उलझन में हैं।

वैसे चुनावी बयानबाजी के ताजे दौर में मुस्लिमों में वोटों के बिखराव को लेकर फिक्र है। आलिम, बुजुर्ग और मुस्लिम नेता इस कोशिश में लगे हैं कि वोटों का बिखराव न हो। लेकिन यह तो 23 मई को परिणाम आने पर ही पता चलेगा कि उनकी कोशिश कितनी सफल हुई।

मुस्लिम वोट बैंक की सियासत गर्म होने पर छुटभैये नेता अपने खेल में जुट गए हैं। एकतरफा मुस्लिम मत दिलाने के नाम पर तमाम छुटभैये नेता प्रत्याशियों से तरह तरह की सुविधाएं ले रहे हैं। वोट भले ही उनके कहने पर न मिले, लेकिन वह अपना उल्लू सीधा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

तीन तलाक पर मोदी सरकार का रुख मुस्लिम महिलाओं को कितना पसंद, नापसंद आया है, यह बात इस चुनाव में मुद्दा नहीं है। वैसे ऐसा नहीं है कि इस मुद्दे पर घरों में चर्चा नहीं होती।

बहादुरगंज की शमीमा बेगम कहती हैं कि तीन तलाक पर मोदी सरकार की पहल अच्छी है। कुछ तो डर पैदा हुआ ही है तत्काल तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहने वालों में। हालांकि वह यह नहीं बतातीं कि उनका वोट किसको जाएगा।

प्रतापगढ़ में करीब 10 फीसद मतदाता मुस्लिम हैं। उनका वोट अहम होता है जीत हार में। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र से आसिफ सिद्दीकी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी थे और 2,07, 567 वोट लेकर दूसरे नंबर पर थे।

साभार- दैनिक जागरण