बुखारी के बेटे की दस्तारबंदी में सोनिया शामिल नहीं होंगी

नई दिल्ली: कांग्रेस सदर सोनिया गांधी आइंदा महीने जामा मस्जिद दिल्ली के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बेटे के दस्तारबंदी की तकरीब में शामिल नहीं होंगी | कांग्रेस के ज़राये से जब पूछा गया कि क्या सोनिया को इमाम साहब की दावत मिली है तो उन्होंने इस तरह की इत्तेला होने या न होना जताया|

तकरीब में सोनिया के शामिल होने के इम्कान के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के एक ज़राये ने सिर्फ इतना कहा, ‘‘सवाल ही नहीं उठता.’’ तकरीब में शामिल नहीं होने का फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है जब दस्तारबंदी में वज़ीर एम नरेंद्र मोदी को दावत नहीं भेजने और पाकिस्तान के वज़ीर ए आज़म नवाज शरीफ को दावत देने के इमाम के फैसले के बाद मुतनाज़ा खड़ा हो गया है.

बुखारी ने मोदी को नहीं बुलाने के अपने फैसले को जायज ठहराते हुए कहा था कि मुसलमानों ने उन्हें गुजरात दंगों के लिए माफ नहीं किया है.

कांग्रेस एमपी हुसैन दलवई ने शाही इमाम की मुज़म्मत करते हुए कहा कि इस्लाम में इस तरह जानशीन बनाने की कोई रिवाज नहीं है और जरूरी नहीं है कि राजा का बेटा ही उसका कामकाज संभाले. उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि इमाम बुखारी ने पाकिस्तान के वज़ीर ए आज़म को क्यों बुलाया है.

दलवई ने कहा, ‘‘उन्होंने दिगर मुस्लिम मुल्कों के वज़ीर ए आज़म को क्यों नहीं बुलाया?’’ बुखारी ने बताया था कि उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी, भाजपा लीडरों राजनाथ सिंह, हषर्वर्धन, सैयद शाहनवाज हुसैन और विजय गोयल, मगरिबी बंगाल की वज़ीर ए आला ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश के वज़ीर ए आला अखिलेश यादव समेत दिगर कई लोगों को भी अपने बेटे की दस्तारबंदी में बुलाया है.