भाजपा को तगड़ा झटका, इस पार्टी ने समर्थन वापस लिया, गिर सकती है सरकार

2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों के पहले बीजेपी को करारा झटका लगा है. नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) ने शनिवार को लोकसभा चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के तुरंत बाद राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की. एनपीएफ के प्रवक्ता अचुंबेमो किकोन ने कहा, ‘हमने कोहिमा में एनपीएफ केंद्रीय कार्यालय में एक लंबी बैठक की और सैद्धांतिक रूप से भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है.’

पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने  लिया भी ट्विटर का सहारा
एनपीएफ नेता और नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने भी ट्विटर का सहारा लिया और कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के ‘उदासीन रवैये’ से परेशान है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘मणिपुर राज्य के पार्टी पदाधिकारियों और एनपीएफ विधायकों के साथ गहन विचार-विमर्श और समीक्षा बैठक के बाद फैसला हुआ कि लोकसभा चुनाव पूरा होने के तुरंत बाद एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से हमारे चार एनपीएफ विधायकों को बाहर निकाल लिया जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘इस समय यह निर्णय भाजपा का हमारे प्रति उदासीन रवैये के कारण है. चुनाव प्रक्रिया के बाद इस निर्णय को लागू करने को अंतिम रूप दिया जाएगा.’

मणिपुर के मुख्यमंत्री का बयान
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने गुरुवार को कहा कि लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद एनपीएफ की मांगों पर विचार किया जाएगा. राज्य में सरकार बनाने के दौरान एनपीएफ और बीजेपी के बीच समझ थी. लेकिन कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण, एनपीएफ नेताओं की मांग लंबित है. लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इन्हें लिया जाएगा.

‘फिर आ रही है मोदी सरकार’
सरकार में फेरबदल की संभावना के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘अभी मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता. हम अभी चुनावी मूड में हैं. मैं यहां चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली में हूं. मैं सकारात्मक हूं कि भाजपा आ रही है. केंद्र में सत्ता में फिर से वापस मोदीजी आ रहे हैं.’

मणिपुर की सियासत
मणिपुर में पिछले साल ही चुनाव संपन्न हुए थे. यहां 60 सदस्यीय विधानसभा है. पिछले साल हुए चुनावों में कांग्रेस को 28 सीटें मिलीं थीं, भाजपा (21 सीटें), एनपीएफ (4 सीटें), एनपीपी (4 सीटें), एआईटीसी (1 सीट), निर्दलीय (1 सीट) और एलजेपी (1 सीट) मिलीं थीं. 2017 के विधानसभा चुनाव में जीतने वाले 28 में से आठ कांग्रेस विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था, जिससे उसकी संख्या 21 हो गई.