भारत-चीन के सैनिकों की मीटिंग, एक-दूसरे के क्षेत्र में घुसने की बात मानी

लद्दाख : पिछले लगभग दो महीने से डोकलाम के मुद्दे पर भारत और चीन आमने-सामने हैं. लेकिन भारत और चीन की सेनाएं मंगलवार को पेंगोंग झील के पास टकराव की स्थिति आ गई. इसी मुद्दे पर बुधवार को चुशूल घाटी में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच बातचीत हुई. इस बॉर्डर पर्सनल मीटिंग में ITBP के जवान भी शामिल हुए. बातचीत में सीमा पर तनाव कम करने पर सहमति बनी है. भारत-चीन सेना के जवानों ने एक-दूसरे को भरोसा दिया है कि आगे से ऐसी घटना नहीं होने देंगे.

सूत्रों की मानें, तो दोनों पक्षों ने माना है कि वह एक-दूसरे के क्षेत्र में आए थे. दोनों पक्षों ने अब इस मुद्दे पर शांति रखने की बात की है, वहीं आगे से इस तरह की घटना को नहीं दोहराने की बात भी कही है. दोनों सेनाओं ने माना है कि बॉर्डर के दूसरे हिस्से पर चल रहे तनाव को किसी ओर क्षेत्र तक नहीं लाना चाहिए.

बता दें कि मंगलवार सुबह लद्दाख इलाके में पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर दोनों सेनाओं के बीच टकराव हुआ था. गतिरोध लगभग आधे घंटे तक चला और फिर दोनों पक्ष वापस चले गए. घुसपैठ की कोशिश में नाकाम होते देख चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी थी. पत्थरबाजी से दोनों तरफ सैनिकों को हल्की चोटें आने की खबर है.

पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक दो इलाकों फिंगर फोर और फिंगर फाइव में सुबह 6 से 9 के बीच भारत की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन दोनों ही मौकों पर भारतीय जवानों ने उनकी कोशिश असफल कर दी. जब चीनी सैनिकों ने देखा कि उनकी कोशिश असफल हो गई है तब उन्होंने भारतीय सैनिकों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. इसके बाद भारतीय जवानों ने भी पत्थर फेंके.

घटना के कुछ देर बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई.चीनी सैनिक इस घटना में फिंगर फोर इलाके में घुसने में सफल हो गए थे, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें वापस धकेल दिया. इस इलाके पर दोनों अपना-अपना दावा करते रहे हैं. 1990 के दशक में भारत ने इस इलाके पर दावा किया था तो चीनी सेना ने यहां एक सड़क बनाकर इसे अक्साई चीन का हिस्सा बता डाला था. हालांकि बाद में भारत ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया था.

चीन में है झील का 60 फीसदी हिस्सा

आपको बता दें कि पेंगोंग हिमालय में एक झील है. जिसकी ऊंचाई लगभग 4500 मीटर है. यह 134 किमी लंबी है और भारत के लद्दाख से तिब्बत पहुंचती है. इस झील का करीब 60 फीसदी हिस्सा चीन में है.

गौरतलब है कि तिब्बत की निर्वासित सरकार के नेता लोबसांग सांगे ने पेंगोंग झील के पास 5 जुलाई को तिब्बत का झंडा फहराया था. इसका चीनी मीडिया ने काफी विरोध भी किया था. चीनी विदेश मंत्रालय का कहना था कि यह झील आधी भारत में है और आधी तिब्बत में, ऐसे में यहां ‘तिब्बत की निर्वासित सरकार का झंडा’ फहराया जाना सांगे का अपनी राजनीतिक पहचान स्थापित करने की कोशिश लगती है.