भारत माता की जय नारे की ताईद-ओ-मुख़ालिफ़त साज़िशियों की मैच फिक्सिंग: फ़र्हत ख़ान

हैदराबाद 22 मार्च: हिन्दुस्तानी अवाम, आरएसएस के नज़रियात से बहुत अच्छी तरह से वाक़िफ़ हैं जो समाजी एतबार से हिंदू मत के मानने वालों की आला ज़ात से ताल्लुक़ रखने वाले इक़तिदार के लालची ग्रुप का तैयार करदा नज़रिया है और इस नज़रिये के ख़िलाफ़ अब हिन्दुस्तान के अवाम खास्कर दलित और मुस्लमान उठ खड़ हो गया है।

रोहित की मौत और जवाहरलाल नेहरू यूनीवर्सिटी दिल्ली में कन्हैया कुमार, उम्र ख़ालिद और अनीरबन भट्टाचार्य के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई से पैदा शूदा सूरते हाल आरएसएस-ओ-हिंदूतवा नज़रिये के लिए ख़तरनाक साबित होने लगी थी। इन वाक़ियात में मुल्क में आरएसएस के नज़रियात के ख़िलाफ़ एक नया महाज़ तैयार कर लिया है जिससे तवज्जा हटाते हुए मुल्क को मज़हबी ख़ुतूत पर तकसीम करने की कोशिश के तहत भारत माता की जय का नारा शुरू कर दिया गया और रुकने पार्लीमान हैदराबाद असद ओवैसी, आर एसएस की बिछाई गई बिसात के पियादे के तौर पर इस की मुख़ालिफ़त करते हुए ज़ाफ़रानी तंज़ीम को अपने मक़सद में कामयाब करने की राह हमवार करने के मुर्तक़िब हुए हैं।

अगर कोई ज़ाफ़रानी टोले की मदद करता है तो वो उस की मर्ज़ी है लेकिन अपनी ग़लतीयों से सारे मुल्क के मुसलमानों को बदनाम करने की कोई भी कोशिश मिल्लत-ए-इस्लामीया के लिए नाक़ाबिले बर्दाश्त होगी। तर्जुमान मजलिस बचाओ तहरीक मजीद उल्लाह ख़ां फ़र्हत ने जारी करदा एक बयान में ये बात कही। उन्होंने बताया कि आरएसएस का मक़सद बुनियादी तौर पर अक्सरीयती तबक़ा को उलझने का शिकार बनाए रखना है और इस के लिए सबसे बड़ा चैलेंज दस्तूर बनाने वाले डॉ भीम राव‌ अंबेडकर के नज़रियात को मानने वाले दलित हैं, उस के अलावा बाएं बाज़ू की तंज़ीमें, सोशलिस्ट राम मनोहर लोहीअ, सेक्युलर ताक़तें, इन्सानियत नवाज़ और क़ौम परस्त हैं जो आरएसएस को मुल्क में फ़रोग़ हासिल करने से रोक रहे हैं। आरएसएस के एजंडे को उन्होंने फ़ाशिस्ट एजंडा क़रार देते हुए कहा कि इस एजंडे के ख़िलाफ़ उठने वाली हर आवाज़ को दबाने के लिए जो स्क्रिप्ट तैयार की थी, इस स्क्रिप्ट के नतीजे में भारत माता की जय का मसला इस क़दर तेज़ हुआ है कि हक़ीक़ी मसाइल से अवाम की तवज्जा हटाने में कामयाबी हासिल करली गई।