भारत में मां का दूध नहीं रहा शुद्ध, WHO ने पेश किया रिपोर्ट!

विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ)ने कहा है कि मृदा प्रदूषण के कारण भारत, यूरोप और अफ्रीका के कुछ देशों में कई स्थानों पर मानव लिए मां का दूध भी शुद्ध नहीं रहा है।

एफएओ की आज रोम में जारी एक रिपोर्ट में कहा कि दुनिया भर में मृदा प्रदूषण से कृषि उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य को जबरदस्त खतरा पैदा हो गया है। अभी तक इस खतरे का आकलन करने के लिए अभी तक कोई विस्तृत अध्ययन नहीं किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिकीकरण, युद्ध, खनन और कृषि के लिए इस्तेमाल किए गए रसायनों से दुनिया भर में मृदा प्रदूषण बढ़ा है। इसके अलावा बढ़ते शहरीकरण ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। इसमें शहरी कचरे की व्यापक भूमिका है।

एफएओ की उप महानिदेशक मारिया हेलेन सेमेदो ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि खाद्य पदार्थ, पेयजल, वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत, यूरोप और अफ्रीका के कई देशों में कुछ स्थानों पर मां का दूध भी शुद्ध नहीं है। इसमें भी प्रदूषक तत्व पाये गये है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व के बहुत स्थानों पर मां का दूध में भी रासायनिक तत्व पाए हैं और इनका स्तर ऊंचा है जिसे सुरक्षित नहीं माना जाता है। भारत, यूरोप और अफ्रीका के कुछ देशों में कई स्थानों पर मां के दूध में प्रदूषक तत्व पाए गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार आस्ट्रेलिया में लगभग 80 हजार स्थान मृदा प्रदूषण से प्रभावित है। चीन की 16 प्रतिशत भूमि और 19 प्रतिशत कृषि भूमि प्रदूषित है। यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र और बालकान देशों में 30 लाख स्थान और अमेरिका में 1300 स्थल मृदा प्रदूषण से प्रभावित हैं।