भीमा कोरेगांव हिंसा: हिरासत में लिए गए दो आरोपी ऐक्टिविस्ट

पुणे 
एल्गार परिषद सम्मेलन मामले में पुणे की एक स्थानीय अदालत द्वारा शुक्रवार को जमानत याचिका खारिज करने के कुछ ही घंटों बाद महाराष्‍ट्र पुलिस ने वामपंथी ऐक्टिविस्ट अरुण फेरेरा और वर्नोन गॉनजैल्विस को हिरासत में ले लिया। दोनों पर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप है। इसके अलावा पुणे पुलिसने एक अन्‍य ऐक्टिविस्ट सुधा भारद्वाजको हिरासत में लेने के लिए एक टीम को फरीदाबाद भेजा है। सुधा को शनिवार को हिरासत में लिया जा सकता है।

एक जांच अधिकारी ने बताया कि शनिवार को फेरेरा और वर्नोन गॉनजैल्विस को अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा। इससे पहले जिला और सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश) के डी वडाणे ने गॉनजैल्विस और फेरेरा सहित सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि पुलिस द्वारा एकत्र सामग्री से प्रतीत होता है कि उनके माओवादियों से कथित संबंध हैं।

बता दें कि तीनों पहले ही नजरबंद थे लेकिन पुणे पुलिस उनको हिरासत में नहीं ले पा रही थी क्योंकि विभिन्न अदालतों ने उस पर (उनको हिरासत में लेने पर) रोक लगा रखी थी। जमानत याचिका के खारिज होने पर पुणे पुलिस ने फेरेरा और गॉनजैल्विस को हिरासत में ले लिया। पुणे पुलिस ने एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा में कथित संलिप्तता के चलते अगस्त में इन तीनों को कवि पी वरवरा राव और गौतम नवलखा के साथ गिरफ्तार किया था।

पुलिस ने दावा किया है कि उसने इनके और शीर्ष माओवादी नेताओं के बीच ई-मेल पर हुई बातचीत को भी जब्त किया है। मामले में नवलखा को दिल्ली हाई कोर्ट ने रिहा कर दिया था। बांबे हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर एक नवंबर तक अंतरिम रोक लगा रखी है। उसी दिन प्राथमिकी में गड़बड़ी की जांच की मांग वाली उनकी याचिका पर सुनवाई की जाएगी।

जिला और सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश) के डी वडाणे ने पाया कि सुधा भारद्वाज ‘नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी’ की प्रफेसर हैं, फेरेरा मानवाधिकारों के लिए काम कर रहे एक वकील एवं कार्टूनिस्ट हैं और गॉनजैल्विस एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो हाशिये पर पड़े लोगों के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ हालांकि समाजसेवा, मानवाधिकार से जुड़े कार्यों की आड़ में वह प्रतिबंधित संगठन (सीपीआई माओवादी) के लिए काम कर रहे हैं और भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, संप्रभुता को खतरा पहुंचाने के लिए की जा रही गतिविधियों में संलिप्त हैं।’

न्यायाधीश ने शुक्रवार को दिए आदेश में कहा, अभी इस चरण में, जांच अधिकारी द्वारा एकत्र की गई सामग्री के आधार पर, प्रथम दृष्टया आरोपियों के प्रतिबंधित संगठन (सीपीआई माओवादी) के साथ संबंधों की पुष्टि होती है। उन्होंने कहा कि जांच एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है।