मऊ से विशेष रिपोर्ट: क्या मुख्तार अंसारी बचा पाएंगे अपनी परम्परागत सीट?

शम्स तबरेज़, सियासत न्यूज़ ब्यूरों।
मऊ: सियासत इस समय पूर्वांचल का दौरा कर रहा है। ग़ाज़ीपुर और बलिया के बाद अब सियासत ने मुख्तार अंसारी के गढ़ माने वाले मऊ ज़िले का दौरा किया। मऊ ज़िले को मऊनाथ भंजन भी कहा जाता है। मुख्तार अंसारी मऊ से चार बार विधायक रह चुके है और इस समय भी वो मऊ के मौजूदा विधायक हैं। मुख्तार अंसारी के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं, उन पर भाजपा नेता कृष्णानंद की हत्या का आरोप और अभी वो लखनऊ जेल में विचाराधीन कैदी हैं। मऊ ज़िले में सियासत ने मुख्तार के छोटे बेटे अमर अंसारी से बात की। उमर ने सियासत से कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य उनकी पहली प्राथमिकता है। मऊ केे बच्चे दूसरे शहरों में पढ़ाई के लिए जाने को मजबूर है वो चाहते हैं, कि बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए बसपा सरकार आने पर ठोस कदम उठाया जाए। सियासत से उन्होने कहा कि प्रदेश में अगर बहन जी की सरकार बनती है तो मऊ में 24 घंटे बिजली और किसानों के तर्ज पर बुनकरों को भी फ्रि बिजली देने की मांग करेंगे।
मुख्तार के गढ़ में क्या मुसलमान वोटरों का रूझान?


मऊ ज़िले की सदर विधानसभा सीट पर मुख्तार की लहर साफ देखी जा सकती है।
सियासत ने लोगों से बात करते हुए यहां के मुस्लिम मतदाताओं से उनका नज़रिया देखा। सियासत की रिपोर्टिंग के दौरान 70 फिसदी लोगों ने मुख्तार का समर्थन किया, लेकिन ऐसे लोगों की भी कमीं नहीं है जो मुख्तार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले अल्ताफ अंसारी को अपना नेता बनाने की तैयारी में है। अल्ताफ अंसारी इससे पहले भी सपा की टिकट पर 2012 के विधानसभा चुनाव में लड़ चुके हैं, लेकिन सिर्फ 54 हज़ार वोट से मुख्तार से हार गए और इस बार ​फिर अल्ताफ ने समाजवाद की टोपी लगाकर मुख्तार को ललकार रहे हैं।
मऊ सदर में कौन—कौन से है मुसलमान बहुल इलाके?


मऊ सदर विधानसभा सीट में पांच सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले इलाके है, जिनमें सदर चौक, सदर बाज़ार, मिर्जादीपुरा, औरंगाबाद और खिरीबाग शामिल है।
सदर चौक– सियासत ने सदर चौक में मुस्लिमों का रूख भांपने का प्रयास तो पता चला कि मानों मुख्तार ने सदर चौक के मुसलमानों के मन को हाईजैक कर लिया हो, कोई भी कैमरे के सामने बोलने की तैयार नहीं हैं, लेकिन दबी जुबान वो मुख्तार के समर्थन में साफ नज़र आ रहे है।

इस इलाके में अंसारी बंधुओं का दम भरने वालों की यहां कोई कमी नहीं दिखी, लेकिन सपा उम्मीदवार अल्ताफ इस इलाके के कुछ मुस्लिम वोटो को काटने में कामयाब रह सकते हैं।
सदर बाज़ार— सदर बाज़ार में मुस्लिमों की तादात तकरीबन 80 प्रतिशत है। एक अनुमान के मुताबिक सदर बाज़ार से मुख्तार को सबसे ज़्यादा वोट मिलने की संभावना है। इस इलाके में अल्ताफ के समर्थकों चाय और पान की दुकानों पर देखे जा सकते हैं, लेकिन जब मुख्तार की बात आती है तो खुद को समाजवादी कहने लगते हैं, हालांकि मुख्तार के समर्थक अल्ताफ के समर्थकों पर भारी पढ़ जा रहे हैं।
मऊ के मुसलमान किसको चुन सकते अपना नेता?


मिर्ज़ादीपुरा– इस इलाके में मुख्तार आगे नज़र आ रहे है। लोगों ने विकास के नाम पर बिजली और सड़क को अहम माना है, वहीं बुनकर समाज ने मुख्तार अंसारी को अपना मसीहा करार दिया है। मिर्ज़ादीपुरा इलाके से मुख्तार को बंपर वोटिंग होने की संभावना है।
खिरीबाग– खिरीबाग इलाका भी मुख्तार के प्रशंसको से पटा नज़र आता है। मुख्तार की तारीफ में कसीदे पढ़ते लोगों की यहां कोई कमी नहीं है। सपा-काग्रेस गठबंधन को समर्थन करने वाले भी यहां दिखे लेकिन मुख्तार के समर्थक गठबंधन के उम्मीदवार अल्ताफ अंसारी पर भारी पड़ते नज़र आ रहे हैं।

कहां मिलेगी मुख्तार को टक्कर?


औरंगाबाद– मऊ सदर विधानसभा सीट पर औरंगाबाद इलाके में मुख्तार को ज़बरदस्त टक्कर मिल सकती है, क्योंकि इस इलाके को सपाईयों का गढ़ बनता नज़र आ रहा है। इस इलाके में अल्ताफ अंसारी ने अपना दब दबा बनाए रखा है।
मऊ का दौरा करते वक्त मऊ सदर विधानसभा सीट से भीटी के मतदाता के मतदाताओं का नज़रिया देखने पर अल्ताफ का वर्चस्व नज़र आया। भीटी में हिन्दू मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है, जो मुख्तार की विरोध में हैं और मुख्तार को हराने के लिए भीटी के मतदाता अल्ताफ को वोट करने की उम्मीद में हैं। मऊ जिलें में चार मार्च को मतदान है। अब तक के रूझान से मुख्तार सबसे आगे हैं। मऊ सदर विधानसभा सीट पर मुख्तार और अल्ताफ के बीच टक्कर होगी। दोनों के ही समर्थक अपना अपना हुंकार भर रहे हैं लेकिन आने वाले 11 मार्च को साफ हो सकेगा कि मऊ सदर का विजेता कौन होगा?