मदरसों में जुमा की छुट्टी रद्द करना इस्लामी इबादत में बाधा डालने की कोशिश: कांग्रेसी विधायक

मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री व सीनियर कांग्रेस विधायक मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने यहां असम की भाजपा सरकार की ओर से दीनी मदारिस में जुमा की छुट्टी रद्द करने के आदेश को इस्लामी इबादत में बाधा डालने की नापाक कोशिश करार दिया और कहा कि असम की भाजपा सरकार आरएसएस के गुप्त एजेंडे पर अमल करके मुस्लिम विरोधी उपाय कर रही है.

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गौरतलब है कि पिछले दिनों असम के शिक्षा मंत्री ने घोषणा की है कि असम में जो मदरसे सरकारी माली सहायता प्राप्त कर रहे हैं अब उनके पास जुमा की छुट्टी करने का विकल्प नहीं होगा और स्कूलों के तर्ज पर रविवार के दिन ही उन्हें भी साप्ताहिक छुट्टी दी जाएगी।

न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार नसीम खान ने कहा कि असम के सरकार का यह मुस्लिम विरोधी कानून है क्योंकि देश में जब से मदरसों की स्थापना हुई है उस दिन से सापताहिक छुट्टी के लिए जुमा का दिन तय किया है और इसकी वजह यह है कि जुमा के दिन स्नान करना, अच्छे साफ-सुथरे कपड़े पहनना, इत्र लगाना क्षेत्र के बड़ी मस्जिद में सामूहिक रूप से जुमा की नमाज अदा करना यह सभी बातें इस्लामी परंपरायें हैं और उसकी पूर्ति के लिए समय की आवश्यकता होती है तो जमाने से ही मदरसों में जुमा के दिन छुट्टी होती रही हैं।

उन्होंने कहा कि जुमा की नमाज़ अदा करना एक ओर जहां इस्लामी इबादत का हिस्सा है वहीं दूसरी ओर दीनी मदारिस में भी यही शिक्षा दी जाती है. तथा मदरसों में जुमा की छुट्टी रद्द किए जाने की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से गठित ” मदरसा मोर्डनाईीज़ेशन योजना ” का भी प्रभावित होने की आशंका है, क्योंकि मुसलमान जुमा की नमाज के लिए सरकार की वित्तीय सहायता को ठुकरा सकता है, लेकिन अपने धर्म का पालन करने को नहीं छोड़ सकता। इससे जिन मदरसों में दीनी तालीम के साथ साथ आधुनिक समकालीन अध्ययन की शिक्षा दी जा रही है इससे संबंध टूटने का भी अंदेशा है। पूर्व मंत्री ने केंद्र की भाजपा सरकार पर सख्त शब्दों में आलोचना करते हुए कहा कि जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भगवा सरकार सत्ता में आई है वह और प्रदेश भाजपा नेतृत्व वाली सरकारें ऐसे नियम बना रही है जिस से देश के सद्भाव को खतरा हो रहा है और मुसलमानों की धार्मिक भावनायें भी आहत हो रही हैं।