मध्यप्रदेश में बारिश से बेहाल लोग, कहीं पानी में जनाजा तो कहीं साइकिल पर जननी

मध्यप्रदेश में हो रही भारी बारिश से जनजीवन कुछ यूं अस्त-व्यस्त हुआ है कि कहीं जन्म तो कहीं मौत के चलते लोगों को बढ़ रहे पानी से आई मुसीबतों से दो-चार होना पड़ रहा है जिसके चलते कहीं पानी में तैरकर जनाजा ले जाया जाता है तो कहीं प्रसव के लिए जननी को साइकिल पर। कर्रापुर गांव के ईशाक अली की बेटी का बीमारी के चलते मौत होना और उसपर भारी बारिश के चलते सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि बांकरई नदी के पर बने कब्रिस्तान तक बेटी का जनाजा कैसे ले जाया जाए। इस गांव नदी पर करने के लिए पुल के न होने से कब्रिस्तान का रास्ता जोखिम भरा रहता है। जिस कारण जनाजे को नदी में तैरकर उस पार बने कब्रिस्तान में ले जाया जाता है। इस बार भी ईशाक अली की बेटी को लोग तैरकर कब्रिस्तान तक ले गए। बावजूद इसके वहां के विधायक लारिया का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है, जबकि वे 8 साल से विधायक हैं। नाराज गांववालों ने जब लारिया से मुलाकात की तो विधायक ने गांव और मुस्लिम समाज के लोगों को आश्वासन दिया कि इस परेशानी का हल जल्दी ही किया जाएगा।
दूसरा मामला है छतरपुर के बक्सवाहा का। जहां एक नई जान को दुनिया में लाने के लिए जननी को अपनी जान को दांव पर लगाने की नौबत आई। दरअसल, यहां जननी वाहन को ठेकेदार ने बंद कर दिया है। जिससे पिछले महीने से ही यह हालात बने हुए है। पार्वती जो अपने मायके शहपुरा आई थी। अचानक प्रसव पीड़ा बढ़ने पर उसके पिता नन्हेभाई आदिवासी ने जब जननी एक्सप्रेस पर फोन लगाया तो पाया कि पिछले एक महीने से जननी ठेकेदार द्वारा बंद करने के कारण सेवा में नहीं है और 108 पर फोन लगाने पर पता चला कि वो कहीं कॉल पर गई है। बेटी को तड़पता देख नन्हेभाई उसे साइकिल पर पीछे बैठाकर पैदल ही चल पड़े। साइकिल के सहारे पिता 6 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले आया, जहां पार्वती ने एक बेटे को जन्म दिया और पिता की सूझबूझ से जच्चा और बच्चा दोनों की जान बच गई।