“मरने से पहले मेरे बाल डाई करा देना”

मुंबई: भारतीय सिनेमा जगत के दमदार अभिनेता ओम पुरी का शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वे हिन्दी फिल्मों के एक मशहूर अभिनेता थे जिनका जन्म अक्टूबर 1950 में हरियाणा के अम्बाला शहर में हुआ था. ओम पुरी का पूरा नाम ओम राजेश पुरी है. इनके के निधन की खबर से फैंस और बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ पड़ी. बता दें कि फिल्म ‘आवारा पागल दीवाना’ में उसका एक मशहूर डायलोग है ‘मरने से पहले मेरे बाल डाई करा देना, आई वॉन्ट टू डाई यंग’.

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

प्रदेश 18 के अनुसार, ओम पुरी का आवाज वाकई दमदार थी. उनकी आवाज में एक मामूली सा डायलॉग भी काफी वजनदार और प्रभावी बन जाता था. फिल्म कैसी भी हो यदि उसमें ओम पुरी ने किरदार निभाया तो वाकई में वह कमाल की फिल्म हो सकती है. कॉमेडी का तड़का हो या फिर मारधाड़ का मसाला ओम पुरी हर किरदार में फिट बैठ जाते हैं. उन्हें मेन स्ट्रीम इंडियन सिनेमा के साथ-साथ आर्ट फिल्मों के लिए भी जाना जाता है. ओमपुरी ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं. जहां फिल्मों में उन्हें एक्टिंग के लिए जाना जाता है, वहीं उनके कुछ डायलॉग भी काफी लोकप्रिय हुए है.

फिल्म ‘मिर्जिया’ की शुरूआत ओमपुरी की आवाज में इन्हीं लाइनों के साथ ही थी. “लोहारों की गली है यह. यह गली है लोहारों की…. हमेशा दहका करती है. यहां पर गरम लोहा जब पिघलता है, सुनहरी आग बहती है… कभी चिंगारियां उड़ती हैं भट्ठी से कि जैसे वक्त मुट्ठी खोल कर लमहे उड़ाता है. सवारी मिर्जा की मुड़ कर यहीं पर लौट आती है. लोहारों की बस्ती फिर किस्सा साहिबां का सुनाती है. सुना है दास्तां… उनकी गुजरती एक गली से तो हमेशा टापों की आवाजें आती हैं.” जो अब सिर्फ उनकी यादें ही बची हैं.

ऊलेख्नीय है कि ओमपुरी ने बॉलीवुड के अलावा ब्रिटिश और अमेरिकी सिनेमा में भी योगदान दिया. वो पद्मश्री पुरस्कार विजेता भी थे. उनहोंने ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला से पूरी की. 1976 में पुणे फिल्म इंस्टिटियूट से ट्रेनिंग करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ साल तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा ली, बाद में उनहोंने अपने निजी थिएटर ग्रुप ‘मजमा’ की स्थापना की.