मर्कज़ी बजट में मुस्लमान मर्कज़े तवज्जा

नई दिल्ली। 7 अक्टूबर ( पी टी आई) उत्तरप्रदेश में असैंबली इंतिख़ाबात को मद्द-ए-नज़र रखते हुए मर्कज़ मुस्लमानों की बहबूद के मालीयाती इक़दामात पर ग़ौर कररहा है। आइन्दा मर्कज़ी बजट में अक़ल्लीयती बहबूद के लिए ख़ुसूसी मुराआत और फंड्स मुख़तस करने के नज़रिया पर तवज्जा दी जा रही है। इस तजवीज़ के साथ जिस में अक़ल्लीयतों से मरबूत स्कीमस को रास्त बलॉक सतह पर रूबा अमल लाने के लिए फंड्स की फ़राहमी भी शामिल है। हुकूमत ने इन तजावीज़ को बैन वज़ारती महिकमों में गशत करवाया है और इस पर ग़ौर-ओ-ख़ौज़ जारी है। हुकूमत का ये क़दम हाल ही में बाअज़ मुस्लिम अरकान-ए-पार्लीमैंट की जानिब से वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह की मुलाक़ात और मुस्लमानों के लिए किए जाने वाले कामों में कोताही की शिकायत का जायज़ा लिया गया। पार्लीमैंट के मानसून इजलास के दौरान बाअज़ अरकान-ए-पार्लीमैंट ने वज़ीर-ए-आज़म से मुलाक़ात करके शिकायत की थी कि अक़ल्लीयती बहबूद के लिए शुरू करदा स्कीमस को मुनासिब तरीक़ा से रूबा अमल नहीं लाया जा रहा है। समझा जाता है कि मनमोहन सिंह ने इन अरकान पार्लीमैंट से कहा कि वो मंसूबा बंदी कमीशन के नायब सदर नशीन मोनटक सिंह अहलुवालिया से मुलाक़ात करें और अपनी शिकायात उन के सामने पेश करें। बादअज़ां ये फ़ैसला किया गया है कि इस मसला को बैन वज़ारत मुशावरत के लिए पेश किया जाय जहां मसला पर ग़ौर-ओ-ख़ौज़ के बाद सयासी उमूर की मर्कज़ी काबीना कमेटी में इस मसला पर तवज्जा देने के लिए एक नोट तैय्यार जाय । मर्कज़ी हुकूमत को मुस्लमानों की बहबूद का ख़्याल इस लिए आया है क्यों कि आने वाले दिनों में उत्तरप्रदेश में असैंबली इंतिख़ाबात मुक़र्रर हैं। यू पी के इलावा मनी पर, पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात और गोवा में भी असैंबली इंतिख़ाबात होने वाले हैं। मुस्लमानों की दिलजोई के लिए मर्कज़ अपनी जानिब से फ़लाही इक़दामात और स्कीमस शुरू करने पर तवज्जा दे रहा है। बेन वज़ारती गोशों में जिस मसला पर ग़ौर किया गया और जो नोट तैय्यार किया गया है इस के तहत अक़ल्लीयतों के लिए मर्कज़ी बजट में ख़ुसूसी फंड्स मुख़तस करने पर तवज्जा दी गई है। मुस्लमान हिंदूस्तान की आबादी का 18 फ़ीसद हिस्सा हैं। हाल ही में वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर ने 12 वीं पनचसाला मंसूबे की मुद्दत के दौरान मुस्लमानों के लिए शुरू करदा प्रोग्रामों की अमल आवरी और इस के असरात का जायज़ा लेने के लिए हिदायत दी थी। पी ऐम ओ ने अक़ल्लीयती उमूर की वज़ारत को भी हिदायत दी थी कि वो दो माह के अंदर हमा शोबा जाती तरक़्क़ीयाती प्रोग्रामों का जायज़ा लेकर रिपोर्ट पेश करे। इन प्रोग्रामों को सच्चर कमेटी सिफ़ारिशात की असास पर शुरू किया गया था। सच्चर कमेटी ने मुल्क भर के 90 अज़ला की निशानदेही करते हुए सिफ़ारिश की थी कि अक़ल्लीयतों की अक्सरीयत वाले 90 अज़ला में मुस्लमानों की बहबूद के लिए बहुत कुछ काम अंजाम देने होंगे। हमा शोबा जाती तरक़्क़ीयाती प्रोग्राम को 2008-ए-में वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह के 15 नकाती प्रोग्राम के हिस्सा के तौर पर मुस्लिम अक्सरीयत वाले 90 अज़ला में शुरू किया गया था। सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशात के बाइस वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने मुस्लमानों के लिए 15 नकाती प्रोग्राम तैय्यार किया था। हुकूमत ने इन स्कीमस के लिए 3 हज़ार करोड़ रुपय का निशाना मुक़र्रर किया था जिन में से अब तक 2100 करोड़ रुपय जारी किए गए हैं। ऐम ऐस जी टी के तहत हुकूमत ने 4 ज़मरों में परी मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, मेरिट पर मबनी स्कालरशिप बराए प्रोफ़ैशनल कोर्सस और आली तालीम के लिए फ़ैलो शपस में अक़ल्लीयतों के लिए स्कालरशिप स्कीमस भी शुरू की हैं।मर्कज़ी हुकूमत की स्कीमस को रूबा अमल लाने में होने वाली बाअज़ कोताहियों की भी शिकायत आम है। वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने इस शिकायत का जायज़ा लेने की हिदायत दी है।