अलाहिदा तेलंगाना के क़ियाम पर हुक्मराँ कांग्रेस और असल अप्पोज़ीशन तेलुगू देशम पार्टी के दरमयान चूहा बिल्ली का खेल जारी है और दोनों ही जमातें एक दूसरे पर सबक़त लेते हुए ख़ुद को हम किसी से कम नहीं साबित करने की कोशिशों में मसरूफ़ हैं जिस से पैदा शूदा अजीब-ओ-ग़रीब सूरत-ए-हाल में तीनों इलाक़ों के अवाम ग़ैर यक़ीनी का शिकार होगए हैं और तक़रीबन तमाम शोबा हाय हयात में रोज़मर्रा की सरगर्मीयां अगरचे मफ़लूज तो नहीं हुई हैं लेकिन इन में रिवायती इतमीनान ,जोश-ओ-ख़ुरोश का फ़ुक़दान पाया जा रहा है।
सयासी तजज़िया निगारों के मुताबिक़ ये खेल उस वक़्त शुरू हुआ जब अवाख़िर जुलाई में ग्राम पंचायत चुनाव के नताइज मंज़रे आम पर आए जिस में तमाम तीनों इलाक़ों में तेलुगू देशम पार्टी ने हैरतअंगेज़ तौर पर शानदार मुज़ाहरा करते हुए कांग्रेस को परेशानी से दो-चार कर दिया था।
इस सूरत में कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने अलहदा तेलंगाना के क़ियाम के फ़ैसले का 30 जुलाई को अचानक एलान कर दियाता कि तेलुगू देशम को उलझन में डालते हुए 2014 के लोक सभा-ओ-रियास्ती असेंबली के चुनाव में इस कामयाबी का सफ़र जारी रखने से रोका जा सके।
लेकिन अप्पोज़ीशन लीडर-ओ-तेलुगू देशम पार्टी के सदर ने कांग्रेस के इस चैलेंज को कुबूल करते हुए फ़ख़्रिया अंदाज़ में एलान कर दिया कि वो तेलुगू देशम पार्टी ही थी जिस ने माज़ी में एन डी ए की हलीफ़ की हैसियत से उस वक़्त के वज़ीर-ए-आज़म अटल बिहारी वाजपाई से ख़ाहिश की थी कि उत्तराखंड ,झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ अलहदा रियासत तेलंगाना भी तशकील दी जाये।
इन आंध्र प्रदेश में दिन बह दिन कमज़ोर होती कांग्रेस के मर्कज़ी क़ाइदीन की ख़ला बाज़ीयों से निमटने के लिए चंद्राबाबू नायडू ने ना सिर्फ़ इज़्ज़त नफ़स यात्रा को आरिज़ी तौर पर रोक दिया है बल्कि तेलंगाना-ओ-सीमा आंध्र के तेलुगू देशम रफ़क़ा के साथ नई दिल्ली का दौरा करते हुए क़ौमी जमातों के क़ाइदीन को -तेलुगू देशम प्रदेश की ताज़ा तरीन सूरत-ए-हाल से वाक़िफ़ करवाने का फ़ैसला भी करलिया है।